[ad_1]
जिले में अतिवर्षा और बाढ़ के बाद हुए फसल और मकान नुकसान के मामले सामने आ रहे हैं। किसानों का कहना है कि बाढ़ से उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई है।
.
वहीं कृषि उपसंचालक राजेश खोब्रागढ़े बताते हैं कि जिले में बाढ़ से लगभग दो हजार हेक्टेयर में लगी धान और अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा है। फिलहाल जिले में पूरे नुकसान का आंकलन, प्रशासनिक दल के सर्वे के बाद ही सामने आ पाएगा। खेतों से बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब सर्वे दल जिले में हुए नुकसान का आंकलन करने जमीन पर उतर गया है और खेत-खेत और घर-घर जाकर सर्वे किया जा रहा है।

जिले में धान और अन्य फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान वैनगंगा नदी, देवनदी और बाघनदी और कुछ जगह नालो के किनारे से लगे ग्रामों की जमीनों में लगी फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। जिसमें लांजी, खैरलांजी, बालाघाट, किरनापुर और बिरसा क्षेत्र का तटवर्ती भाग शामिल है, जहां धान, अरहर, तिल और सब्जियों की फसलों को नुकसान पहुंचा है।

कलेक्टर के निर्देश पर सर्वे में जुटे दल
जिले में शुक्रवार से फसलों और मकानों की नुकसानी का सर्वे कार्य प्रारंभ हो गया है। कलेक्टर मृणाल मीणा ने सर्वे करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी राजस्व अधिकारियों से कहा कि खेत-खेत और घर-घर पहुंचकर सर्वे में हर प्रभावित व्यक्ति से चर्चा करें।
सर्वे दल में राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक व पटवारी, कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, पंचायतों के सचिव और जीआरएस की टीम है। इनके अलावा सर्वे दल में आवश्यक होने पर उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों को भी शामिल किया जाएगा।

दो हजार हेक्टेयर में फसल नुकसानी की संभावना
कृषि विभाग के उपसंचालक राजेश खोब्रागढ़े ने बताया कि जिले में सर्वे कार्य शुरू हो गया है। आंकड़े के अनुसार लगभग दो हजार हेक्टेयर में लगी धान, तिल, अरहर और सब्जी की फसल को नुकसान पहुंचा है।
खासकर उन क्षेत्रों के किसानों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है, जो बाघनदी, देवनदी, वैनगंगा नदी और कुछ जगह पर नाले के किनारे है। इसमें लांजी, खैरलांजी, किरनापुर, बालाघाट और बिरसा के क्षेत्र शामिल है। उन्होंने बताया कि जिले में 3 लाख 7 हजार हेक्टेयर में फसले लगाई गई है। जिसमें 2 लाख 60 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगी है।
[ad_2]
Source link



