[ad_1]

शिक्षक का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहता है। शिक्षक विद्यार्थी के चरित्र को चरित्रार्थ करने में सहयोग करता है। गुरु व्यक्तित्व निर्माण के साथ ही कठिन परिस्थिति में काम करने और कठिनाई का सामना करना भी सिखाता है। इससे शिक्षकों की शिक्षा अनंतकाल त
.
प्रो. डॉ. सचिन शर्मा ने कहा कि शिक्षक को विद्यार्थी को पढाते हुए उसकी रुचि अनुसार विषयों पर ध्यान केन्द्रित करना भी सिखाना चाहिए। यदि हम शिक्षक विद्यार्थी को नवाचार और रुचिकर विषयों के साथ पढाएंगे तो परिणाम बहुत ही अलग और बेहतर आएंगे। शिक्षको को विद्यार्थी को नई सोच, शोध के लिए प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। कक्षा में पाठयक्रम के अनुसार पढाते हुए विद्यार्थी को रुचिकर विषयों पर भी जानकारी देना आवश्यक है। मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। शिक्षक राष्ट्र निर्माण की बुनियाद है। शिक्षकों की शिक्षा के परिणाण स्वरूप भारत विश्व पटल पर अपना नाम रोशन कर रहा है।
मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर के जितने भी सरकारी स्कूल हैं उन्हें रिडेनसिफिकेशन के माध्यम से बेहतर माहौल दिया जाएगा। इंदौर देश में स्वच्छता में लगातार सात बार नंबर शहर है। इसमें इंदौर के शिक्षको का योगदान रहा है। उन्होंने अपने विद्यार्थियों को स्वच्छता का पाठ पढाया। इसके परिणाम स्वरूप बच्चो में स्वच्छता के प्रति जागरुकता आई।
शिक्षाविद सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि गुरु को जब गर्व महसूस होता है जब वह किसी बाजार में चल रहा हो और सामने से उसका शिष्य आकर उसकी चरण वंदना करता है। तब वह सम्मान उसके लिए सबसे बडा होता है। शिक्षक को किसी सहारे की जरूरत नही होती है। उन्होंने कहा कि गुरु कभी लघु नही होता है। जो लघु हो जाए वह शिक्षक नहीं होता है। जीवनकाल में तमाम विपदा को सहन करते हुए भी शिक्षक राष्ट्र निर्माण में लगा रहता है।
[ad_2]
Source link

