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कोर्ट के आदेश का पालन करने की मांग कर रहे औपचारिकेत्तर अनुदेशक और पर्यवेक्षक राज्य शिक्षा केंद्र के सामने उपवास पर बैठ गए हैं। जिसमें प्रदेशभर से आ रहे अनुदेशक-पर्यवेक्षक शामिल होंगे। 24 साल से हक की लड़ाई लड़ रहे संघर्षरत औपचारिकत्तर शिक्षा संघ ने उपव
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डॉ. द्विवेदी ने बताया कि उपवास दिनभर चलेगा। उन्होंने बताया कि अनुदेशक-पर्यवेक्षकों की मांगों का निराकरण करने के लिए शासन ने 7 माह पहले समिति का गठन किया है और समिति अब तक कोई निर्णय नहीं कर पाई है। उल्लेखनीय है कि केंद्र परिवर्तित औपचारिकेत्तर शिक्षा योजना वर्ष 2000 तक संचालित रही है। इसी वर्ष भारत सरकार ने योजना में परिवर्तन कर दिया। अन्य राज्यों ने परिवर्तित योजना अपनाई, मगर मध्य प्रदेश सरकार ने योजना को ईजीएस शाला में कन्वर्ट कर दिया। इसके तहत गुरुजियों की भर्ती की गई। तब की सरकार ने संघ की बात नहीं सुनी। आखिर संघ कोर्ट गया और वहां से अनुदेशक-पर्यवेक्षकों को सहायक शिक्षक के समान लाभ देने का फैसला हुआ।
गिरजाशंकर तिवारी, महेश मेहता, विश्वनाथ घोष, प्रदीप शुक्ला, अयोध्या प्रसाद बिदुआ, होतम सिंह, दिलीप, सुमेर सिंह, जगदीश पटेल बताते हैं कि वर्ष 2008 और 2009 में गुरुजी पात्रता परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें गुरुजी और अनुदेशक पर्यवेक्षकों को शामिल किया गया। सरकार ने वर्ष 2013 में कैबिनेट की बैठक में उत्तीर्ण-अनुत्तीर्ण सभी गुरुजियों को संविदा शिक्षक वर्ग-3 में नियोजन कर दिया। इसके लिए नियमों में संशोधन किया गया, पर इसी परीक्षा में शामिल उत्तीर्ण-अनुत्तीर्ण अनुदेशकों को लाभ नहीं दिया। वे कहते हैं कि उपवास कर हम अपनी बात सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री, विभाग के सचिव, आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र, आयुक्त लोक संचालनालय को बता रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।
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