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Three Krishnajis of dark complexion are present in Banke Bihari, Krishna-Radha-Rukmini are together in Yashoda Mata temple, the Lord has lifted the Govardhan mountain | जन्माष्टमी का उल्लास: बांके बिहारी में श्याम वर्ण के तीन कृष्णजी, यशोदा माता मंदिर में कृष्ण-राधा-रुक्मिणी एक साथ, प्रभु ने उठा रखा है गोवर्धन पर्वत – Indore News

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जन्माष्टमी का उल्लास, उत्सव शुरू हो चुका है। इंतजार है सोमवार रात 12 बजने का, जब कान्हा का जन्म होगा। इस बार जन्माष्टमी खास है, क्योंकि द्वापर युग के समय जैसे संयोग में जन्माष्टमी का पर्व मन रहा है। भाद्रपद मास, कृष्णपक्ष, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र

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यह संयोग सुखद और पुण्यदायी है। स्मार्त और वैष्णव दोनों मतों से एक ही दिन जन्माष्टमी है। ऐसे में शहरभर में एक ही दिन पर्व मनेगा। ऐसे में शहर के 192 साल से लेकर 233 साल से ज्यादा पुराने 3 प्रमुख मंदिर गोपाल मंदिर, बांके बिहारी और यशोदा माता मंदिर में खास उत्सव मन रहा है। तीनों मंदिरों में इस बार एक ही दिन मन रहे जन्माष्टमी उत्सव और यहां की खास जानकारी पढ़िए भास्कर में…

बांके बिहारी मंदिर

  1. राजबाड़ा के दक्षिणी कोने में बने श्री बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की तीन श्याम वर्णी मूर्तियां हैं। तीनों मूर्तियां गर्भगृह में एकसाथ विराजमान हैं। इस तरह का संभवत: यह पहला और अनूठा मंदिर है।
  2. तीनों मूर्तियां कसौटी के पत्थर से बनी हुई हैं। यहां पालने में बांके बिहारी की मूर्ति और एक मूर्ति भगवान दत्तात्रेय की भी है।
  3. बांके बिहारी मंदिर गोपाल मंदिर से भी पहले का है। मल्हारराव होलकर प्रथम ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।

इस बार… परिसर में फूल बंगला सजाया भगवान को नई पोशाक धारण करवाई जाएगी।

यशोदा माता मंदिर

  1. 233 साल पुराने यशोदा माता मंदिर में मां यशोदा की गोद में भगवान श्रीकृष्ण विराजे हैं। गर्भगृह के बीच में दूसरी मूर्ति में भगवान ने गोवर्धन पर्वत उठाया हुआ है। आसपास राधा, रुक्मिणी और गाय-ग्वाल हैं।
  2. गर्भगृह में ही एक और मूर्ति विष्णु-लक्ष्मी की भी है। पुजारी पं. मनीष दीक्षित कहते हैं, इसकी पहचान ही देशभर में यशोदा माता के नाम से है।
  3. मंदिर की स्थापना के बाद सभी मूर्तियां जयपुर से आई थीं। 45 दिन में मूर्तियां इंदौर पहुंची थीं, उसके बाद विधिविधान से स्थापना की गई थी।

इस बार... 100 किलो पंजीरी का भोग लगेगा सुबह 6 बजे महाभिषेक होगा। देर रात महापूजा होगी।

गोपाल मंदिर

  • गोपाल मंदिर का निर्माण 1832 में हुआ था। महाराजा यशवंतराव प्रथम की पत्नी महारानी कृष्णाबाई होलकर ने मंदिर का निर्माण करवाया था। लागत 80 हजार थी।
  • पुजारी पं. बालमुकुंद पाराशर कहते हैं मंदिर और छत की मजबूती देखने हाथी चढ़वाए गए थे।
  • होलकर राजवंश के समय मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव की शुरुआत 5 तोपों की सलामी के साथ होती थी।
  • मराठा शैली में यह मंदिर 65 फीट ऊंचा और काले पत्थरों से बना है। मंदिर का मंडप 30 चौकोर खंभों पर बना है। 4 फीट ऊंची राधा-कृष्ण की प्रतिमाएं हैं।

इस बार... सुबह 5 बजे पंचामृत अभिषेक बालभोग में माखन-मिश्री और सूखे मेवे का भोग लगेगा।

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