महाराजगंज जिले के निचलौल तहसील के परागपुर के उमाशंकर मिश्रा ने सिर्फ दस गायों से डेयरी का काम शुरू किया था. वर्तमान समय में इनके डेयरी में लगभग 200 गाय है. इस डेयरी से प्रतिदिन 1500 लीटर दूध गोरखपुर जाता है. खास बात यह है कि यह डेयरी फॉर्म बिजली के मामले में भी आत्मनिर्भर है. गोबर से ही बिजली का उत्पादन भी कर लेते हैं.

महाराजगंज. जिले के निचलौल तहसील के नजदीक परागपुर में एक ऐसा डेयरी है, जो किसी भी नए उद्यमी के लिए एक मॉडल डेयरी हो सकता है. उमाशंकर मिश्रा ने इस महाराजा डेयरी को शुरू करने से पहले पंजाब और हरियाणा में डेयरी के काम को देखा. उसके बाद पांच करनाल से और पांच लोकल गायों के साथ साल 2009 में इस डेयरी की शुरुआत की थी. हालांकि पांच क्षेत्रीय और पांच अलग जगह से इन गायों को लाकर इनके सर्वाइवल को देखा गया. इनमें से सभी गायों ने अच्छी वृद्धि की और डेयरी का काम आगे बढ़ता गया. कामधेनु योजना के अंतर्गत इस डेयरी का काफी विस्तार हुआ और इस योजना के तहत सब्सिडी भी मिला.
फीडिंग और देखरेख है बेहद जरूरी
वर्तमान समय में इस महाराजा डेयरी में 193 गाय है. इनमें 104 बड़े और बाकी छोटे हैं. गायों की फीडिंग की बात करें तो मक्का, सोया और अन्य चीजें दी जाती है. हालांकि इनकी फीडिंग ही दूध की क्वालिटी को निर्धारित करता है, इसलिए फीडिंग और रख-रखाव में काफी सावधानियां बरती जाती है. अलग-अलग मौसम भी दूध उत्पादन को प्रभावित करता है. लगभग 4 एकड़ में फैले इस महाराजा डेयरी का आज काफी अच्छा कारोबार है.
साफ-सफाई और क्वॉलिटी से नहीं करते समझौता
महाराजा डेयरी के मैनेजर मारकंडेय शर्मा ने बताया कि ठंड के दिनों में प्रतिदिन इस डेयरी में 1500 लीटर दूध तो वहीं गर्मियों में 1200 लीटर दूध का उत्पादन होता है. महाराजा डेयरी के पास खुद की गाड़ी है, जो प्रतिदिन दूध लेकर गोरखपुर जाता है. इस डेयरी की बेहद खास बात है कि उत्पादन से लेकर डिलीवरी तक दूध को टच नहीं किया जाता है बल्कि मशीनों के द्वारा इसकी हैंडलिंग की जाती है. फुल हाइजेनिक होने की वजह से ही इस डेयरी के दूध को काफी पसंद किया जाता है.
टेम्परेचर का रखा जाता है ख्याल
दूध के टेंपरेचर को मेंटेन करने के लिए भी मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे इसकी शुद्धता बनी रहती है. डेयरी के मैनेजर ने बताया कि दूध के टेंपरेचर को मेंटेन करना बहुत जरूरी होता है. यह उसके क्वालिटी को भी प्रभावित करता है. इस डेयरी को स्थापित करने वाले उमाशंकर मिश्रा बताते हैं कि जब बाजार में मिलावटी दूध की भरमार देखा, तो बेहतर क्वालिटी वाला दूध उत्पादन के बारे में सोचा. उन्होंने बताया कि उद्देश्य शुद्ध और अच्छी क्वालिटी का दूध बाजार में उपलब्ध कराना है और महाराज डेयरी यह कर रहा है.
डेयरी खुद करता है बिजली का उत्पादन
डेयरी के मैनेजर ने बताया कि गोबर का भी बहुत अच्छे से प्रयोग किया जाता है. गोबर से ही बिजली का उत्पादन डेयरी में किया जाता है और पूरे डेयरी की बिजली आपूर्ति भी इसी से हो जाती है. उन्होंने बताया कि गोबर का सही उपयोग कर बिजली के उत्पादन से डेयरी बिजली आपूर्ति में आत्मनिर्भर भी हो चुका है. इसके अलावा गोबर को मछली पालन वाले बरसात के मौसम में ले जाते हैं. वहीं किसान भी गोबर का प्रयोग वर्मी कंपोस्ट के लिए भी करते हैं. महाराजा डेयरी के मैनेजर मारकंडेय शर्मा ने बताया कि जो भी डेयरी शुरू करना चाहते हैं वो छोटे स्तर पर भी शुरुआत कर सकते हैं. सही रख-रखाव और फीडिंग के अलावा इससे होने वाले सभी प्रकार के उत्पादों का सदुपयोग कर इससे एक अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 17:43 IST
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