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पूर्व की शिवराज सरकार की एक महिला मंत्री मोहन सरकार के आदेश के बाद भी मंत्री के रूप में आवंटित बंगला खाली करने को तैयार नहीं हैं। इस पूर्व मंत्री को संपदा संचालनालय भी नोटिस देकर थक चुका है। इस बीच यह बंगला एक मौजूदा महिला मंत्री को आवंटित कर दिया गय
.
बंगला खाली होने का इंतजार कर रहीं मंत्री को जब सरकारी बंगला मिलता नहीं दिखा तो वे खुद उस बंगले पर पहुंच गईं जो उन्हें आवंटित हुआ था। सुना है कि मैडम मिनिस्टर जब पहुंचीं तो पूर्व मंत्री भी वहीं बंगले पर थीं और बंगला खाली कराने आईं मंत्री को उन्होंने जमकर फटकार भी लगा दी। कहा- जहां शिकायत करना है वहां कर लो।
फिर क्या था, मंत्री हारकर वापस लौट गईं। उन्होंने सरकार तक अपनी बात पहुंचा दी है।

जब ट्रांसलेशन ने पैदा की गफलत
9 से 15 अगस्त तक पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर एमपी में भी तिरंगा यात्रा और तिरंगा अभियान शुरू किया गया है। अभियान की तैयारी को लेकर हुई बैठक में तब हलचल मच गई, जब प्रजेंटेशन के दौरान एक जगह ‘तिरंगा श्रद्धांजलि’ लिखा हुआ दिख गया।
बैठक में शामिल एक मंत्री ने श्रद्धांजलि शब्द पर आपत्ति ली और कहा कि इसे नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे गलत मैसेज जाता है। इसे हटाने का फैसला हुआ और फिर तलाश शुरू हुई कि आखिर पावर पाइंट प्रजेंटेशन में यह शब्द शामिल कैसे हुआ।
सवाल-जवाब के दौरान यह बात सामने आई कि अंग्रेजी के ट्रिब्यूट शब्द के गूगल ट्रांसलेशन के कारण ऐसा हुआ।
पावर के बीच में पिस रहे ठेकेदार
खेती किसानी से जुडे़ करोड़ों के काम पिछली सरकार में नर्मदापट्टी में कुछ ठेकेदारों को मिले थे। ये काम एक लीडर के पावर में रहते मिले थे। लेकिन, नई सरकार गठन के बाद ठेकेदार नए और पुराने पावर सेंटर के बीच में फंस गए हैं।
दरअसल, जिन नेता जी ने पावर में रहते ठेके दिलाए थे, वे ठेकेदार से चढ़ावा मांग रहे हैं। इधर, जो आज सर्वेसर्वा हैं वे कह रहे हैं कि हम जो कहते हैं उस पर ध्यान दो। अब ठेकेदार नए और पुराने पावर के बीच फंस गए हैं।

सीट बेल्ट लगाने वाले मंत्री जी
पब्लिक को ज्ञान देने में नेता घंटों मंच पर बोलते नजर आते हैं, लेकिन, मंच से दिए गए ज्ञान का कई बार खुद ही पालन नहीं करते हैं। लेकिन, प्रदेश सरकार में एक मंत्री ऐसे हैं जो कार में बैठते ही सबसे पहले सीट बेल्ट बांधते हैं। मंत्री जी को पूरे प्रदेश में ट्रैफिक रूल के मामले आज तक कोई टोक नहीं पाया।
दरअसल, मंत्री जी लंबे समय तक नेशनल लेवल की पॉलिटिक्स में रहे। दिल्ली में सक्रिय रहने के चलते उन्हें सीट बेल्ट लगाने की आदत हो गई। अब लोग कह रहे हैं कि काश इन मंत्री जी की तरह दूसरे मंत्री और नेता नियमों का पालन करने लगें।

‘सरकार’ के भाषण में छींक बनी बाधा
हुआ यूं कि सूबे के ‘सरकार’ एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। उसी वक्त सभागार में मौजूद लोगों के बीच अचानक तेज आवाजें आईं। देखा तो पता चला कि एक सज्जन को छीकें आ रहीं थीं।
‘सरकार’ बोले चिंता मत करो, अभी तो तीन आईं हैं दो और यानी पांच आएंगी। मुझे पता है मैंने चुनाव में देखा है हमारे जिलाध्यक्ष जी हैं उन्हें एक साथ चार-पांच छींकें आतीं हैं।

एक दिन में 29 सरकारी टीचर सस्पेंड
विरोधी दल के नेता के गृह जिले में सरकारी स्कूलों की जांच करने अफसरों की टीमें भेजी गईं। इस महीने के दूसरे ही दिन किए इंस्पेक्शन में जिले में सरकारी स्कूलों के 29 शिक्षक ड्यूटी से गायब मिले। इन सभी को निलंबित कर दिया गया।
टीचर्स के थोकबंद सस्पेंशन के बाद अब निलंबित शिक्षकों ने अपने शिक्षक नेताओं के जरिए विभाग पर प्रेशर बनाना शुरू किया है। शिक्षकों ने तर्क दिया है कि जिस वक्त निरीक्षण कराया गया, उस दौरान कई शिक्षकों के आवेदन स्कूल में रखे हुए थे। लेकिन प्राचार्य या संस्था प्रधान ने स्वीकृत नहीं किए।
कुछ शिक्षकों ने अपनी लीव एप्लीकेशन वाट्सअप पर भेजी थी। कुछ शिक्षकों के उपस्थिति रजिस्टर पर अवकाश होने के बावजूद पक्ष जाने बिना निलंबित कर दिया गया। शिक्षक नेता यह तर्क भी दे रहे हैं कि आकस्मिक अवकाश में ऐसा कोई नियम नहीं है कि एक दिन पूर्व अवकाश स्वीकृत करवाया जाए।
और अंत में..
खुल सकती है पुरानी जांच की फाइल
सरकार ने लोक निर्माण विभाग के प्रशासनिक निजाम को इसी माह बदला है। इसके बाद जब नए अफसर पहुंचे तो वहां फाइलों के ढेर देखकर चकरा गए। पूछताछ के बाद पता चला कि जो फाइलें पड़ी हैं वे अफसरों की जांच से संबंधित हैं। इनका निराकरण करने के बजाय रोका गया है।
इसके बाद नए अफसर ने फाइलें चेक करने के बाद वहां से हटाने के लिए अधीनस्थों को कहा। अब चर्चा चल पड़ी है कि अगर सही रिपोर्ट दी गई तो पुरानी जांच फाइलों को पेंडिंग रखने और जांच पूरी कर कार्रवाई करने का जिन्न बाहर आ सकता है, जो कई करप्ट अफसरों को भारी भी पड़ सकता है।
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