अजब गजब

मुश्किल नहीं मल्टीबैगर शेयर तलाशना, करनी होती है बस थोड़ी-सी रिसर्च, कोई नहीं देगा ये ज्ञान

Finding A Multibagger Stock: मोहनीश पबराय को भारत का वॉरेन बफेट कहा जाता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्होंने अरबपति निवेशक वॉरेन बफेट के तौर-तरीकों का पालन करते हुए 1,185 करोड़ रुपये से अधिक का पोर्टफोलियो बना लिया है. जाहिर है, उनके पास कोई तो ऐसा तिलिस्म है, जिसके बूते वे यह काम कर पाने में सक्षम हैं. वॉरेन बफेट इस बात का उदाहरण हैं कि कैसे शेयर बाजार को दुहा जा सकता है. उन्होंने तमाम इंटरव्यू और सेमीनारों में इस बात का जिक्र किया है कि उन्होंने इतना पैसा कैसे बना लिया. उनके कई कथन शेयर बाजार के नजरिए से ब्रह्मवाक्यों की तरह सत्य हैं, जैसे कि- शेयर बाजार में पैसा बनाना है तो जब लोग लालची होते हैं तब आपको डरना चाहिए, और जब लोग डर में हों तो आपको लालची हो जाना चाहिए.

आज हम बात कर रहे हैं मोहनीश पबराय की. उन्होंने भी वॉरेन बफेट को फॉलो करते हुए हजारों करोड़ रुपये की पूंजी बनाई है. उन्होंने हाल ही में एक फॉर्मूला साझा किया है, जो किसी भी निवेशक के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हो सकता है. भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड हजारों कंपनियों में से यदि आपको एक-दो कंपनियां भी इस कसौटी पर खरी मिल गईं तो समझो लॉटरी लग गई. तो चलिए जानते हैं, वो कौन-सी कसौटी अथवा फॉर्मूला है.

कम कीमत वाले स्टॉक
मोहनीश पबराय ने किसी को पैसा लगाने के लिए सजेशन तो नहीं दिया, लेकिन उन्होंने यह बताया कि वे खुद किस तरीके से कंपनियां चुनते हैं. उन्होंने बताया कि वे ऐसी कंपनियां खोजते हैं, जिनके स्टॉक की कीमत बहुत कम होती है, लेकिन कंपनी की कमाई अच्छी होती है. नोट करें कि यहां ‘कम कीमत’ का मतलब 2-4 रुपये वाले पेनी स्टॉक से नहीं है. इसका मतलब है कि कंपनियों की वैल्यूएशन अच्छी है, मगर स्टॉक की कीमत तुलनात्मक रूप से कम है. तो यह कैसे पता चलेगा?

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दरअसल, बाजार में कुछ इंडीकेटर होते हैं, जो कंपनी और शेयर की कहानी बयां करते हैं. ऐसा ही एक इंडीकेटर है P/E (पी/ई). यह एक अनुपात है, जिसे लगभग हर बड़ा निवेशक स्टॉक खरीदने से पहले देखता है. आमतौर पर कहा जाता है कि 20 के आसपास P/E वाले स्टॉक अच्छे होते हैं. लेकिन पबराय कहते हैं कि वे ऐसे स्टॉक में पैसा लगना पसंद करते हैं, जिसका P/E रेश्यो कम हो.

P/E का मतलब क्या है?
इसे प्राइस टू अर्निंग रेश्यो कहा जाता है. ज्यादा टेक्निकल परिभाषा में जाने से आप उलझ सकते हैं. इसलिए एक ही वाक्य में बात समझ सकते हैं – यदि कोई कंपनी केवल 1 साल में अपने मार्केट कैप के बराबर कमाई कर ले तो प्राइस टू अर्निंग (P/E) रेश्यो 1 होगा. यदि 2 साल में कर ले तो 2 होगा. अपनी मार्केट कैप के बराबर कमाई 5 साल में करे तो P/E रेश्यो 5 होगा.

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मोहनीश पबराय कहते हैं कि वे अंडरवैल्यूड कंपनियों को ही खरीदते हैं. ऐसी कंपनियां जिनका P/E रेश्यो कम हो. इसका अभिप्राय है कि वे जिन भी कंपनियों में पैसा लगाते हैं, उनकी कमाई अच्छी होती है और वे बहुत तेजी से बढ़ती हैं. कंपनी तेजी से बढ़ेगी तो शेयर की कीमत भी तेज गति से ऊपर जाएगी. पबराय ने रेन इंडस्ट्रीज (Rain Industries) में तब पैसा लगाया था, जब उसका रेवेन्यू 2 बिलियन (2,000,000,000) डॉलर था और उसकी मार्केट कैप 200 मिलियन (200,000,000) डॉलर थी. मार्केट कैप से भी ज्यादा रेवेन्यू. कुछ मिलाकर यह शेयर उस वक्त कौड़ियों के भाव मिल रहा था. पबराय ने इसका जबरदस्त फायदा उठाया.

अभी कौन से स्टॉक हैं कम P/E वाले
स्क्रीनर (screener.in) के मुताबिक, फिलहाल ये स्टॉक काफी कम P/E पर ट्रेड हो रहे हैं. यहां विशेष तौर पर यह नोट करें कि हम इन स्टॉक्स में पैसा लगाने की सलाह नहीं दे रहे हैं. यदि आपको पैसा लगाना है तो आप अपने ब्रोकर या किसी सर्टीफाइड विशेषज्ञ से सलाह लें. क्योंकि निवेश का निर्णय अकेले P/E रेश्यो के आधार पर नहीं होता. तो ये रहे कम P/E रेश्यो वाले स्टॉक-
– Maha Rashtra Apx – 0.62
– Athena Global – 0.73
– Dhoot Indl.Fin – 1.28
– Vipul Ltd – 1.78
– Key Corp – 3.41
– Swadeshi Polytex – 5.24

(Disclaimer: यह खबर केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशिक की गई है. यदि आप इनमें से किसी भी शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

Tags: Share market


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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