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डिंडौरी जिले में सावन के तीसरे सोमवार को शिव मंदिरों में कावड़िए और ग्रामीण श्रद्धालु नर्मदा जल लेकर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक और पूजन-अर्चन करने पहुंच रहे हैं। जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर कुकर्रा मठ गांव स्थित प्राचीन ऋण मुक्तेश्वर मंदिर के दर्शन करन
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स्थानीय लोगों ने बताया कि मान्यता के अनुसार कुकर्रामठ गांव में एक बंजारे ने अपने स्वामिभक्त कुत्ते की याद में एक रात में ही भगवान भोलेनाथ का मंदिर बनवाया था। ग्रामीण बताते हैं कि बंजारे ने राजा से कर्ज लिया था और उनका कर्ज चुकाने के लिए उसे व्यापार करने बाहर जाना था तो उसने अपने कुत्ते को राजा के पास छोड़ दिया।

मान्यता के अनुसार एक ही रात में बना मंदिर
इसके बाद एक दिन राजा के घर चोरी हो गई और उस कुत्ते की मदद से चोर पकड़े गए और जेवरात भी बरामद कर लिए गए। राजा ने कुत्ते की स्वामिभक्ति से प्रसन्न होकर कुत्ते को मुक्त कर दिया और उसके गले में तख्ती टांग दी।
ग्रामीणों ने बताया कि रास्ते में कुत्ता बंजारे को मिला, बंजारे को लगा कि कुत्ता राजा के घर से भाग गया है। इसके बाद उसने कुत्ते को मार दिया। जब राजा ने उसे सच्चाई बताई तो उसे बड़ा पछतावा हुआ और उसने फिर कुत्ते की याद में एक ही रात में शिव मंदिर का निर्माण किया था।
कल्चुरी राजा कोकल्य देव ने कराया निर्माण
वहीं विधवानों के अनुसार 10-11वीं शताब्दी में कल्चुरी राजा कोकल्य देव के सहयोग से तत्कालीन शंकराचार्य ने अपने गुरु के ऋण से मुक्त होने के लिए शिव मंदिर बनवाया था। मंदिर में खास बात यह हैं कि मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व दिशा में है। एक चबूतरे में ही पूरे मंदिर का निर्माण करवाया गया है।
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