Home मध्यप्रदेश The truth is that which remains the same in the past, present...

The truth is that which remains the same in the past, present and future – Dr. Girishanandji Maharaj | इंदौर के शंकराचार्य मठ में सावन के प्रवचन: भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों काल में जिसका स्वरूप एक-सा रहे वही सत्य- डॉ. गिरीशानंदजी महाराज – Indore News

36
0

[ad_1]

परमात्मा राम परम सत्य के स्वरूप हैं। सत्य अविनाशी है, अबाधित है, सत्य का कभी विनाश नहीं होता, सत्य के स्वरूप में कोई परिवर्तन नहीं होता। सत्य शब्द का अर्थ होता है, भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों में जिसका स्वरूप एक सा रहे। परमात्मा को छोड़कर हमें जो दिख

.

एरोड्रम क्षेत्र में दिलीप नगर स्थित शंकराचार्य मठ इंदौर के अधिष्ठाता ब्रह्मचारी डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने गुरुवार शाम को यह बात श्रावण मास के दौरान चल रहे रामचरित मानस के प्रवचन में कही। व्यासपीठ का पूजन और आरती में बालकृष्ण चौकसे, जयश्री कुशवाहा, संजय मिश्रा, पिंकेश वर्मा, शोभा चौकसे, अमन शर्मा और नीलेश परमार ने हिस्सा लिया।

कल वैसा नहीं था, आने वाला कल भी ऐसा नहीं रहेगा

महाराजश्री ने कहा दिखने वाला संसार व्यावहारिक दृष्टि से भले ही सत्य हो लेकिन तत्व दृष्टि से विचारने पर सत्य नहीं है। जैसा आज हमें दिख रहा है, कल वैसा नहीं था और आने वाला कल भी ऐसा नहीं रहेगा।

सुखी होना हो तो सत्य से प्रेम करे

डॉ. गिरीशानंदजी महाराज ने कहा कि मनुष्य को सुखी होना हो तो सत्य से प्रेम करे, शांत मन से सोचे, विचारे कि जगत सच्चा है या मिथ्या। विचार करने पर मालूम पड़ेगा कि ईश्वर ही सत्य है। जिस प्रकार शतरंज के खेल में खेलते समय उसके मोहरें हाथी, घोड़ा, ऊंट, राजा, मंत्री आदि नाम से जाने जाते हैं, उसमें नियम होता है, हाथी सीधा चलता है। ऊंट टेड़ा चलता है। जब तक खेल होता है तब तक ही यह हाथी और घोड़ा है, ऊंट है की मान्यता रहती है। खेल समाप्त होते ही वे लकड़ी के टुकड़े रह जाते हैं। और एक डिब्बे में डाल दिए जाते हैं। क्या सही के हाथी, घोड़े को कोई डिब्बे में डाल सकात है? ठीक इसी प्रकार यह संसार भी एक खेल है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here