मध्यप्रदेश

One idea saved 6 lakh rupees in 5 years | एक आइडिया से 5 साल में बचाए 6 लाख रुपए: कैमेस्ट्री लेब में खुद तैयार किया फिनाइल-टॉयलेट क्लीनर, संस्थान के विकास में लगाई बचत – Indore News


इंदौर के श्री गोविंदराम सेकसिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस कॉलेज (एसजीएसआइटीएस) ने आपदा को एक अवसर में बदल दिया, जिसका फायदा लगातार संस्थान को मिल रहा है।

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दरअसल, कोविड के दौरान सैनेटाइजर से लेकर फिनाइल का काफी इस्तेमाल हो रहा था। इस बीच कॉलेज डायरेक्टर आर.के.सक्सेना ने संस्थान के कैमिस्ट्री विभाग के एचओडी और उनकी टीम को लैब में ही सैनेटाइजर और फिनाइल तैयार करने के लिए कहा।

डिपार्टमेंट ऑफ कैमिस्ट्री के एचओडी डॉ.नितिष गुप्ता व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.उर्मिला रघुवंशी ने बताया कि 2019 में कोविड के वक्त डायरेक्टर सर के निर्देश पर लैब में ही सैनेटाइजर और फिनाइल तैयार करने के फॉर्मूला पर रिसर्च शुरू की। सैनेटाइजर तो आईसो प्रोफाइल अल्कोहल से तैयार कर लिया गया, साथ ही कैंपस को सैनेटाइज करने के लिए सोडियम थायोसल्फेड से बना लिया गया। मगर फिनाइल तैयार करने में टीम को काफी मेहनत करना पड़ी।

इसे बनाने वालों से भी सही जानकारी नहीं मिली। इस दौरान लेब में ही टीम द्वारा छोटे-छोटे कई एक्सपेरिमेंट्स किए गए। कभी फिनाइल गाढ़ा हो जाता, तो कभी एकदम पतला तो कभी केमिकल अलग-अलग हो जाते। करीब 40 से ज्यादा बार टेस्टिंग करने के बाद फिनाइल तैयार करने में सफलता मिली और इसे बनाना का सही रेश्यो टीम को मिल गया।

ऐसे तैयार किया फिनाइल

असिस्टेंट प्रोफेसर उर्मिला रघुवंशी ने बताया कि फिनाइल तैयार करने के लिए संस्थान में पाइन ऑयल, एसिड थिकनर, अल्फॉक्स केमिकल, पानी का इस्तेमाल किया। इसे सही रेश्यो में मिलाया गया, जिसके बाद फिनाइल तैयार हुआ। फिनाइल में खुशबू के लिए अलग से परफ्यूम व कलर के लिए ऐसिटिक कलर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन सभी के सही मिश्रण से लैब में ही पिछले कई सालों से फिनाइल तैयार किया जा रहा है। तब से ही संस्थान को बाहर से फिनाइल खरीदने की जरूरत नहीं पड़ रही है।

ये है मनी का मैथमेटिक्स

कॉलेज कैंपस में होस्टल से लेकर एकेडमिक ब्लॉक काफी बड़े हिस्से में फैला हुआ है। इसकी साफ-सफाई के लिए 350 से 400 लीटर फिनाइल लगता है। एक लीटर फिनाइल की कॉस्ट 35 रुपए लीटर पड़ रही थी। इस अनुसार महीने के 12 हजार 250 रुपए और एक साल में 1 लाख 47 हजार की कॉस्ट फिनाइल की लग रही थी, इसके अलावा प्लास्टिक बोतलों का वेस्ट अलग। जब संस्थान ने खुद का फिनाइल तैयार किया तो एक लीटर फिनाइल बनाने में 8 रुपए लीटर का खर्च आया। इस प्रकार 2800 रुपए महीने और 33 हजार 600 रुपए में पूरे साल का फिनाइल तैयार हो गया। इस अनुसार संस्थान ने एक साल में 1 लाख 13 हजार 400 रुपए की सेविंग की। यह काम पिछले पांच साल से किया जा रहा है, जिससे संस्थान को अब तक 6 लाख रुपए से ज्यादा कि सेविंग हो चुकी है। फिनाइल को भरने के लिए फिनाइल की वेस्ट बोतलों का ही इस्तेमाल किया गया।

टॉयलेट क्लीनर भी कर दिया तैयार

उन्होंने बताया कि पिछले महीने ही टॉयलेट क्लीनर बनाने में भी टीम को सफलता मिली है। इसे बनाने के लिए भी अलग-अलग प्रयोग किए गए। इसके बाद टॉयलेट क्लीनर बनकर तैयार हो गया। प्रो.रघुवंशी कहना है कि बाजार में मिलने वाले टॉयलेट क्लीनर से यहां बना टॉयलेट क्लीनर की क्वालिटी ज्यादा अच्छी है। इसे तैयार करने के लिए एसिड थिनर, हाइड्रो क्लोरिक एसिड, एसिटिक ब्यू कलर और पानी को सही मात्रा में मिलाकर बनाया गया है। बाजार में यह टॉयलेट क्लीनर 900 एमएल 180 रुपए से ज्यादा का मिल रहा है, जबकि लैब में यह क्लीनर 16 रुपए में एक लीटर बनकर तैयार हो गया।


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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