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मंगलवार को निगम में बजट सत्र के शुरुआती दौर में विपक्ष द्वारा हंगामा करने के बाद सभापति ने सारे कांग्रेसी पार्षदों को एक दिन के लिए निष्कासित कर दिया। इसके बाद मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने 8 हजार करोड़ रुपए का बजट पेश कर दिया। बुधवार 31 जुलाई को अब इस पर
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दरअसल सोमवार को बजट सत्र की शुरुआत से पहले कांग्रेसी पार्षदों ने श्रद्धांजलि सभा के दौरान ही तख्तियां लेकर नारेबाजी की और जमकर आरोप लगाए थे। इसके बाद वे लगातार निगम में हुए करोड़ों के घोटाले की फाइल सहित कई मुद्दों पर विरोध करते रहे। दूसरा यह कि वे काले ड्रेस में तख्तियां लेकर सत्र में बैठे। इसके चलते उन्हें निष्कासित किया था। इसके बाद वे सदन के बाहर बजट पेश होने तक धरने पर बैठे रहे। फिर कुछ देर बाद रवाना हो गए।

नगर निगम के बजट सत्र में काले कपड़े पहन कर पहुंचे कांग्रेसी पार्षद हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते रहे और निष्कासित करने पर धरने पर बैठ गए।
इस बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं और संगठन को मीडिया, सोशल मीडिया से पूरी जानकारी मिली और खुद पार्षदों ने भी अवगत कराया। हालांकि काले कपड़े पहनकर तख्तियां लेकर सदन में जाना, जमकर विरोध करना और धरना देना इसकी रणनीति पूर्व में ही तय हो चुकी थी। बहरहाल, हंगामे के बाद मेयर ने बजट पेश कर दिया जिसका हर भाजपा पार्षद ने समर्थन किया। भाजपा पार्षदों को एक दिन पहले हुई बैठक में समझाइश दे दी गई थी कि वे मोबाइल में ही व्यस्त न रहे। संगठन ने उन्हें नसीहत भी दी थी अधिकारियों को घेरने के फेर में अपनी ही परिषद पर सवाल न उठाए। इस बात पर जोर दिया गया था कि विपक्ष की गलती का पुरजोर विरोध करना है।
मंगलवार के हंगामे बाद कांग्रेस ने पार्षद दल की बैठक की। बैठक में हर पार्षद को समझाइश दी गई कि वे ऐसे मुद्दे उठाए जिससे परिषद सीधे कटघरे में आ जाए। इसके लिए हर पार्षद को दो खास मुद्दे उठाने के गुर दिए गए। यह भी समझाइश दी गई कि वे हर मुद्दे पर तार्किक और मजबूती से बहस करें। इसके चलते कई मुद्दों का चयन किया गया है।

कांग्रेस पार्षद हंगामा करते हुए निगम सभापति की आसंदी तक पहुंच गए थे।
ये रहेंगे विपक्ष के मुद्दे
- दो साल पहले 663 करोड़ का जो बजट था, उसका हिसाब मांगा जाएगा। बजट में किस मद के लिए कितनी राशि खर्च हुई थी और कितना काम हुआ।
- आमजन पर सीधे तौर पर स्वच्छता का टैक्स नहीं बढ़ाया है, लेकिन संपत्ति कर और जल कर का मुद्दा विपक्ष मजबूती से उठाएगा।
- कई वार्डों में माह में 15-20 दिन पानी आता है और वह भी गंदा। ऐसे में जल कर कैसे बढ़ाया गया। निगम ने अपनी आय बढ़ाने के लिए आमजन पर आर्थिक बोझ क्यों डाला।
- विपक्ष संपत्ति कर का मुद्दा भी उठाएगा क्योंकि भाजपा के वरिष्ठ नेता खुद इसके विरोध में है। मंगलवार को बजट सत्र में सिर्फ विधायक रमेश मेंदोला और महेंद्र हार्डिया ही उपस्थित थे। बाकी विधायकों के बारे में चर्चा है कि इनमें से अधिकांश ने टैक्स बढ़ाने की ख़िलाफत की है। विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की तैयारी में है।
- एक खास मुद्दा शहर की खस्ता हाल सड़कों का है। अभी सीजन की आधी बारिश भी नहीं हुई है और जल जमाव, गंदगी से लोग परेशान हैं। विपक्ष का कहना है कि इस बार डामरीकरण नहीं हुआ। पेंच वर्क भी कुछ स्थानों पर ही हुआ। जनता को जब इन परेशानियों से निजात की जरूरत है तब निगम मुख्य काम छोड़ पौध रोपण में लगा है।
- इसके अलावा निगम में हुए 100 करोड़ से ज्यादा के फर्जी बिल घोटाले, गायब 174 फाइलों का मुद्दा भी उठाया जाएगा।
- ठेकेदारों को लम्बे समय से भुगतान नहीं होने के कारण अटके कामों को लेकर भी बहस की जानी थी। सोमवार को मेयर ने बजट में स्पष्ट किया कि सारे ठेकेदारों को 31 अगस्त तक बकाया राशि का पेमेंट कर दिया जाएगा। कांग्रेस अब सवाल उठाएगी कि यह राशि क्या जनता के पैसे (बढ़े टैक्स की राशि) से चुकाई जाएगी।
- इसके साथ ही सोलर एनर्जी, डिजिटल सिटी सहित नए विशेष मुद्दे जो बजट में पेश किए गए और महंगे साबित हो सकते हैं, उन पर सवाल उठाए जाएंगे।
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