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1 जून से शुरू हुए मानसूनी सीजन में अब तक बेहतर बारिश का इंतजार बना हुआ है। अब तक क्षेत्र में दो-तीन बार ही तेज बारिश चंद घंटे ही हुई है। इससे न तो जमीनी जलस्रोतों की स्थिति में सुधार आया और न ही वातावरण में ठंडक समाई है। कम बारिश और लगातार बादलों की
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मौसम विभाग की माने तो जिले में फिलहाल इस माह के अंतिम दिन तक तेज बारिश क अनुमान नहीं है। बादलों की मौजूदगी में रिमझिम व हल्की बारिश हो सकती है। कम बारिश से कई जगह खेतों में नमी की कमी भी दिखने लगी है, तो कई जगह फसलों के पत्ते सिकुड़ रहे हैं। मौसम विशेषज्ञों द्वारा फसलों की देख भाव के लिए एडवाइजरी दी जा रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने कहा कि किसानों को चाहिए कि वे फसलों की देखभाल करें। कीट की समस्या आने पर उपयुक्त दवाइयों का छिड़काव करें। फसल की निगरानी रखे। नमी कम होने पर डोरा चलाए और खरपतवार हटाने के लिए निदाई-गुड़ाई करें। वहीं अब तक हुई बारिश से हरियाली नजर आने लगी है, लेकिन झरने, तालाबों की स्थिति में सुधार नहीं दिख रहा है। कुछ जगह बीते दिनों तेज बारिश से झरनों में कलकलाहट गूंजने लगी थी, लेकिन अब वहां धार कमजोर पड़ने लगी है।
अगस्त में मेहरबान होगा मानसून
कृषि विज्ञान केंद्र के रवींद्रसिंह सिकरवार ने बताया कि अभी वातावरण में बारिश का सिस्टम नहीं बन रहा है। बादल जरूर सक्रिय है, लेकिन उनकी सतत मौजूदगी से फसलों पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। 31 जुलाई तक तेज बारिश के आसार नहीं है। अगस्त के पहले सप्ताह में मानसून मेहरबान हो सकता है।
इस वर्ष अब तक 12 इंच बारिश
भू-अभिलेख कार्यालय के अनुसार जिले में बीते 24 घंटे के दौरान औसत 4.2 मिमी बारिश हुई। बड़वानी, अंजड़ को छोड़ शेष स्थानों पर महज 1 से 16 मिमी के मध्य हल्की बारिश हुई।
इस वर्ष औसत बारिश का आंकड़ा 300 मिमी (12 इंच) से पार हो चुकी है। फिर भी पिछड़े वर्ष से आंकड़ा आंशिक रूप से कम है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में इस वर्ष 1 जून से अब तक औसत 305.2 मिमी बारिश हुई है। जबकि गत वर्ष 313.3 मिमी पानी बरसा था। जिले में औसत बारिश का आंकड़ा 746.3 मिमी है। बादलों की मौजूदगी से वातावरण में उमस का असर बरकरार है।





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