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शहर के अधिकांश इलाकों में खंडहर और जर्जर मकान खड़े हैं। नगर निगम साल दर साल उन्हें चिह्नित कर नोटिस देने की कार्रवाई तो कर लेता है लेकिन उन्हें गिराने की कार्रवाई औपचारिक ही रहती है। नगर निगम की ऐसी हीलाहवाली के कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। न
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जबकि निगम की कार्रवाई जर्जर मकानों को खतरनाक घोषित कर नोटिस चस्पा करने तक ही सीमित रहती है। नगर निगम की स्थिति यह है कि कितनों को नोटिस दिए गए और उस पर क्या अमल हुआ? इसकी समीक्षा तक नहीं की जाती है और न ही किसी के पास अपडेट जानकारी रहती है। बीते साल रामपुरा में 2 मकान बारिश में अपने आप गिर गए थे। इनमें से एक मकान ऐसा था, जिसमें लोग भी रह रहे थे लेकिन गनीमत यह रही थी कि बड़ी अनहोनी टल गई थी। इस बार मानसूनी बारिश का एक माह हो चुका है लेकिन निगम द्वारा एक भी जर्जर मकान नहीं गिराया गया।
एक ही अमला… अतिक्रमण अमले के जिम्मे कई काम, इसीलिए कार्रवाई ठप : नगर निगम में सारे काम अतिक्रमण अमले के जिम्मे हैं। जबकि उसमें कर्मचारियों की संख्या सीमित है। चाहे भवन गिराने हों, शहर में अतिक्रमण की कार्रवाई करनी हो या पशु पकड़ने हों, हर काम में इसी अमले को लगा दिया जाता है। वीआईपी ड्यूटी में भी अतिक्रमण अमला ही लगता है, यही कारण है कि सारे काम ठप हैं।
इतवारी टौरी…. मकान गिरा नहीं दूसरे को हो गई बिक्री : इतवारी टौरी में जर्जर भवन को साल दर साल नोटिस दिए गए लेकिन मकान गिराया नहीं। न ही भवन स्वामी ने गिराया। यह क्षेत्र के सबसे बड़े मकानों में से एक है। इसके गिरने पर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। अब इसकी बिक्री हो गई है। जिस भवन स्वामी ने इसे खरीदा है, उन्होंने अंदर से इसे गिराना शुरू कर दिया है।
कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, कुछ स्वयं भी गिरा रहे
निगमायुक्त राजकुमार खत्री का कहना है कि शहर में जर्जर भवनों को नोटिस दिए गए हैं। जहां मरम्मत की जरूरत है, वहां सुधार का भी बोला है। उन्हें गिराने के लिए निर्देश दिए हैं। कई लोगों ने स्वयं भी मकान गिरा लिए हैं, कई गिरा रहे हैं। जो जर्जर मकान रह गए हैं उन्हें भी प्राथमिकता से गिराया जाएगा।
150 वर्ष पुराना मकान नहीं तोड़ पा रहा निगम
चकराघाट वार्ड स्थित दो मंजिला कच्चा खपरैल 150 वर्ष पुराना जर्जर एवं क्षतिग्रस्त मकान कभी भी गिर सकता है। जिससे इसमें निवास करने वाले व्यक्तियों एवं नगर पालिका फर्श से निकलने वाले लोगों को जन-धन की हानि होने की आशंका है। भवन स्वामी का कहना है कि कई आवेदन निगम में दिए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है।
आमिर अंसारी ने निगम आयुक्त को दिए पत्र में कहा था कि मकान का आधा हिस्सा 16 बाय 19 फीट को निगम अपने अधिकार में लेकर गिरा दे। एक पक्षकार क्षतिग्रस्त मकान को गिराने के लिए तैयार है। निगम दूसरे पक्ष को नोटिस भेजे जिससे जर्जर मकान गिराने की कार्रवाई जल्दी हो सके ताकि इस मकान के निवासियों और नगर पालिका फर्श से निकलने वाले लोगों की किसी प्रकार की जन-धन की हानि न हो पाए। दो साल से लगातार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
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