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देश में सबसे ज्यादा जोड़ों के दर्द की समस्या घुटने से जुड़ी हुई हैै। इसका प्रमुख कारण बढ़ती हुई उम्र के साथ-साथ खराब लाइफ स्टाइल जैसे व्यायाम नहीं करना और मोटापा है। इससे बचने के लिए 40 साल की उम्र के बाद पालथी मारकर नहीं बैठना चाहिए। साथ ही नियमित व्
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डॉ. यादव ने बताया कि घुटने खराब होने की समस्या महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक होती है। युवाओं में घुटना खराब होने की समस्या बहुत कम होती है। युवाओं में चोट लगने या अन्य किसी कारण से घुटना खराब होने की समस्या होती है। वहीं ग्वालियर ऑर्थोपेडिक साेसायटी एवं जीआरएमसी के ऑर्थोपेडिक विभाग ने घुटने के इलाज की नई पद्धति को लेकर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजन सचिव व ऑर्थोपेडिक के विभागाध्यक्ष डॉ. आरएस बाजौरिया ने बताया कि कार्यशाला का शुभारंभ जीआरएमसी के डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ ने किया। इस अवसर पर पूर्व डीन डॉ. समीर गुप्ता,डॉ. वीपी मिड्ढा, आईएमए के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत लहारिया,डॉ. अनुपम गुप्ता उपस्थित थे।
कूल्हे या कमर के दर्द को गंभीरता से लें
इंदौर से आए वरिष्ठ ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. विनय तंतुवे ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद युवाओं में एवियन हिप की परेशानी आई है। इसमें हिप ज्वाइंट में फीमर की हड्डी के हेड में ब्लड की सप्लाई रुक जाती है,जिससे हेड की ब्लड सप्लाई रुक जाने के कारण वह डेड होने लगता है। इसे एवैसकुलर नेक्रोसिस कहते हैं। समय रहते मरीज आ जाए तो उसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि जो मरीज समय पर नहीं आ पाते हैं तो उनके कूल्हे बदलने पड़ते हैं। जिन मरीजों को कोराेना हुआ है उन्हें नियमित व्यायाम करना चाहिए।
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