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मंदसौर सहित जिले में हजरत इमाम हुसैन साहब की शहादत पर मुस्लिम समाजजन ने ताजिए निकाले। शहर के अलग-अलग मोहल्लों से करीब 20 ताजियों के साथ अखाड़े भी निकले। रातभर यह कारवां चलता रहा।
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ताजिए के साथ समाज के युवाओं ने हैरतअंगेज करतब दिखाए। इमाम हुसैन की याद में हर समाजजनों की आंखें नम हो गई। मोहर्रम के जुलूस के दौरान जब उनकी और उनके साथियों की शहादत के किस्से गूंजे तो बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक कोई भी खुद को रोक नहीं सका।
सारा माहौल गमगीन हो गया और सभी इमाम साहब को याद करते रहे। शहर के अलग लाग जगहों से निकले ताजिए रातभर शहर में रहे। सुबह 6 बजे सरकारी तजिए के साथ सभी ताजिए शहर के छड़ी चौक मदारपुरा कर्बला पहुंचे जहां ताजिए को ठंडा किया।
अंचल में भी निकले ताजिए
मन्दसौर शहर सहित अंचल में भी ताजिए निकले। शामगढ़ में फकीर मोहल्ला, सरकारी कुएं के पास, वार्ड नंबर 14 रिटायर्ड कॉलोनी, आलमगढ़, उर्दू स्कूल रोड सहित 25 से ज्यादा ताजिए निकले। वहीं सीतामऊ नगर में काजीवाड़ा, लखारा पानपुरिया, मंसूरी सहित अन्य जगहों 8 ताजिये निकले इसके साथ ही संजीत, नाहरगढ़, दलौदा, और अन्य गांवों में ताजिए निकले। रातभर के बाद सुबह ताजिए करबला पहुचे जहा ताजिए ठंडे किए गए।
शहादत की याद में निकाले जाते
समाजजनों ने बताया कि इस्लाम में मोहर्रम का विशेष महत्व है। आज से इस्लामिक कैलेंडर के सुलचा हरिपलर नए साल का शुभारंभ होता है। समाजजनों के अनुसार इंसानियत की रक्षा के लिए कर्बला में इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने अपनी शहादत दी थी। उनकी याद में ताजिए निकाले गए। ताजिया इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है। लोग शोक व्यक्त करते हैं और इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं।

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