Kanjars arrived to break the stop dam worth 22 crores with JCB | एमपी का डैम तोड़ने राजस्थान से आए कंजर: भाजपा नेता के रिश्तेदार की जेसीबी लाए; मंदसौर में ग्रामीणों ने पथराव कर खदेड़ा – Mandsaur News

वई जाओ, वई आड़ी वणां मुंडला वारा ने फोन लगाओ। नदी में आजावे, दे हाड़ा के ठोक-ठोक। है यूं… रपटा-रपटा अणा के। डैम तोड़े डैम, मशीन हाड़ो कूण है? मशीन पकड़ लो मशीन।
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एमपी और राजस्थान के सीमावर्ती गांव की इस स्थानीय भाषा का मतलब है…
उधर आओ और नदी के उस पर मुंडला गांव के लोगों को फोन लगाओ। कहो कि नदी आ में जाओ। दे सालों को ठोंक-ठोंक के…। ये डैम तोड़ रहे हैं, इन पर जोर-जोर से पत्थर फेंको। मशीन वाला कौन है, उसे पकड़ लो।
मुंडला डेरा के कंजर बड़ी संख्या में धान का खेड़ा गांव के पास काली सिंध नदी पर बने स्टॉप डैम को तोड़ने के लिए जेसीबी मशीन लेकर पहुंच गए। सूचना पर कई ग्रामीण भी पहुंच गए और कंजरों को डैम तोड़ने से मना किया।
कंजरों ने ग्रामीणों को धमकी देते हुए मौके से भाग जाने के लिए कहा। कंजरों के मनसूबे को पूरा नहीं होने देने के लिए ग्रामीणों ने अपने रिश्तेदारों और परिचितों को अपनी बोली में इकट्ठा होने का मैसेज दिया। इसके बाद कई ग्रामीण मौके पर पहुंचे और कंजरों को भगाने के लिए पथराव शुरू कर दिया।
इस दौरान कंजरों ने दो-तीन हवाई फायर भी किए। ग्रामीणों की संख्या बढ़ती देख कंजर मौके से भाग गए। ग्रामीण उनके पीछे पत्थर लेकर दौड़े। इस दौरान वे दूसरे ग्रामीणों से कहते नजर आए कि मुंडला गांववालों को कहो कि इन्हें उस ओर से घेर लें और पत्थर फेंके। वे नदी में खड़ी मशीन को भी अपने कब्जे में लेने की बात करते रहे।
मुंडला डेरा के कई कंजर धान का खेड़ा गांव के निकट काली सिंध नदी पर बने इसी स्टॉपडैम को तोड़ने के लिए जेसीबी मशीन लेकर पहुंचे थे
काली सिंध नदी के स्टाप डैम को तोड़ना चाह रहे थे
मध्य प्रदेश से सटे राजस्थान की सीमा में रहने वाले कंजर बॉर्डर क्रॉस कर एमपी में चोरी लूट डकैती जैसी वारदात करने पहुंचते हैं। दोनों प्रदेशों की सीमा पर चंबल और काली सिंध नदियां रास्ते में पड़ती हैं।
2019 की बाढ़ में चंबल नदी में बनी पुलिया बह गई थी। इसके बाद कंजर वारदातों को अंजाम देने काली सिंध नदी के रास्ते आने लगे, लेकिन यहां नदी पर बना स्टॉपडैम कंजरों के आने-जाने में बाधक बन रहा है।
शुक्रवार को मुंडला डेरा के कई कंजर धान का खेड़ा गांव के निकट काली सिंध नदी पर बने इसी स्टॉपडैम को तोड़ने के लिए जेसीबी मशीन लेकर पहुंचे थे, जिन्हें हिम्मत दिखाते हुए ग्रामीणों ने भगाया। ग्रामीणों का कहना है कि जेसीब बीजेपी नेता के रिश्तेदार की है, इसलिए सभी कार्रवाई से बच रहे हैं।
ग्रामीणों ने नगर परिषद सीएमओ संजय सिंह राठौर, अध्यक्ष प्रतिनिधि डॉ. बालाराम परिहार को घटनाक्रम की सूचना दी। इनके साथ ही पुलिस को भी घटना के बारे में बताया। जिसके बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची। हालांकि उसके हाथ कुछ नहीं लगा।

कंजरों ने डैम को जेसीबी से तोड़ने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के कारण उन्हें भागना पड़ा।
22 करोड़ से बना था स्टॉप डैम
तत्कालीन सांसद मीनाक्षी नटराजन के प्रयासों से 2010 में 22 करोड़ की पेयजल योजना के तहत इस स्टॉप डैम की स्वीकृति मिली थी। इसका निर्माण 2016 में पूरा हुआ था। स्टॉप डैम के पास इंटकवेल, फिल्टर प्लांट और पानी की टंकी का निर्माण किया गया था।
स्टॉप डैम सुवासरा नगर से 15 किमी दूर ग्राम धानड़ा खेड़ा के समीप बना है। अगर इसे तोड़ दिया जाता है तो सुवासरा में जल संकट गहरा जाएगा, क्योंकि पूरे नगर में पानी की सप्लाई यहीं से होती है। यानी यह स्टॉपडैम सुवासरा कस्बे की लाइफ लाइन है।
क्राइम करने इसी रास्ते से आते हैं, डैम बन रहा बाधा
ग्रामीणों ने बताया कि कंजर इसी रास्ते से चोरी व लूट की वारदात करने आते हैं। स्टॉप डैम में पानी होने पर कंजरों को परेशानी होती है। अभी डैम में पानी का लेवल कम है, इसलिए अभी इसे तोड़ना आसान हो जाता, क्योंकि जेसीबी मशीन बीच नदी तक आसानी से पहुंच सकती है।
इसी कारण कंजर इसे तोड़ने आए थे, जिससे बारिश का पानी उतरने के साथ ही नदी में रास्ता मिल जाए।

सुवासरा नगर परिषद सीएमओ संजय सिंह राठौर ने पुलिस को शिकायती आवेदन दिया है।
सीएमओ ने पुलिस को दिया आवेदन
सुवासरा नगर परिषद सीएमओ संजय सिंह राठौर ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ स्टॉप डैम तोड़ने की साजिश का एक शिकायती आवेदन पुलिस को दिया है। टीआई कमलेश प्रजापति ने बताया कि सीएमओ का आवेदन मिला मिला। जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, वह अलग हैं। कंजर जेसीबी लेकर नही पहुंचे थे।
जेसीबी के पीछे की एक कहानी यह भी
नाम नहीं छापने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि जिस जेसीबी से डैम को तोड़ने की तैयारी थी, वह जेसीबी एक भाजपा नेता के रिश्तेदार की है। ऊपर से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के पास फोन आ गया था। इस कारण यह पूरा मामला अज्ञात के नाम हो गया, जबकि जेसीबी के बारे में तो पुलिस को पता है। इस मामले में टीआई, एसडीओपी से लेकर आलाधिकारी तक बात करने को तैयार नहीं हुए।

सिंध नदी में पानी कम होने से कंजर डैम इसे तोड़ने पहुंचे थे।
राजस्थान से आकर मप्र में वारदात करते हैं कंजर
ग्रामीणों का कहना है कि कंजर राजस्थान से सटी मध्यप्रदेश की सीमा में आकर वारदातों को अंजाम देते हैं। राजस्थान के गंगधार से सीतामऊ सुवासरा की दूरी करीब 30 किलोमीटर है। रात होते ही कंजर मध्यप्रदेश की सीमा में आकर वारदात को अंजाम देते हैं।
तात्कालिक एसडीओपी नरेंद्र सोलंकी को कंजरों की कुंडली तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। पुलिस ने राजस्थान के झालावाड़, गंगधार के करीब डेढ़ दर्जन गांवों में कंजरों के डेरों की कुंडली तैयार की थी, हालांकि पुलिस ने जब भी इस ढेरों में दबिश दी है, पुरुष फरार ही मिले।
कंजर अपने समाज के साथ गांव से दूर अपनी आबादी में रहते हैं। इसे कंजरों का डेरा कह जाता है। पुलिस ने मुंडला डेरा, कोलवी गुर्जर का डेरा, अरनिया डेरा, टोकडा डेरा, लाखा खेड़ी डेरा, हाजड़िया, रावतपुरा, कोलवा गुर्जर, बामन देवरिया जैसे डेरों की कुंडली तैयार की थी।
पहले वारदात नहीं करने लिए ग्रामीणों से लेते थे लगान
दो दशक पहले तक कंजर जिले में लगान के रूप में अनाज लेते थे। नहीं देने पर वारदात करते थे। जिस गांव से अनाज मिलता था, उस गांव में वारदात नहीं होने की गारंटी होती थी। समय के साथ वारदातों का तरीका बदला। अब कंजर गैंग कच्ची शराब, डोडाचूरा, अफीम और हथियारों की तस्करी के साथ गांव में मौजूद दलालों के संपर्क में होते हैं।
कंजर वाहन और पशुओं की चोरी करते हैं। बाद में दलाल चोरी गया माल वापस दिलाने के लिए डील करते हैं। इसका एक हिस्सा दलाल अपने पास रखते हैं। ग्रामीण कानून के झमेले से बचने के लिए कंजरों की वारदात की शिकायत पुलिस को नहीं करते। उन्हें पता होता है कि मीडिएटर के जरिए ले दे कर मामला निपट जाएगा।
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