[ad_1]

आईआईटी इंदौर और इसरो के बीच में कई लाइव प्रोजेक्ट्स पर साथ मिलकर काम किया जा रहा है। चंद्रयान-3 के बाद अब चंद्रयान-4 की तैयारी भी चल रही है। चंद्रयान-4 चांद की सतह पर पड़े पत्थर और मिट्टी को वहां से यहां लाने पर काम करेगा, जिससे चांद की सतह के बारे म
.
इसके साथ ही 2035 तक भारत अंतरिक्ष स्टेशन भी बनाएगा और ही गगनयान मिशन पर भी काम तेज़ी से चल रहा है जिसकी मदद से भारत 2040 में आदमी को चांद पर भेजेगा। इसके लिए इसरो और आईआईटी इंदौर भी साथ काम करेंगे।
यह बात शनिवार को आईआईटी इंदौर के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए आईआईटी इंदौर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष और इसरो के पूर्व चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने कही। उन्होंने बताया कि भारत अपने अंतरिक्ष मिशन के लिए रूस की भी सहायता लेगा, ताकि जल्द से जल्द हम हमारे मिशन को पूरा कर सकें।
उन्होंने कहा कि भारत के पास खुद यह तकनीक बनाने की क्षमता मौजूद तो है, लेकिन इसमें समय ज्यादा लगेगा। जब भारत और रूस मिलकर इस पर काम करेंगे तो काम भी जल्दी होगा और खर्च भी कम पड़ेगा। उन्होंने बताया कि आईआईटी इंदौर के छात्रों को इसरो का डाटा भी प्रदान किया जा रहा है।
इसी कि मदद से स्पेस इंजीनियरिंग पढ़ने वाली असम की छात्रा कृशांगी कश्यप ने अपने शोध में चंद्रमा की सतह पर पानी होने की संभावना को तलाशा है। इसका डाटा उन्हें चंद्रयान-2 से मिला है, और यह उसे साउथ पोल का हिस्सा है जहां कभी भी सूर्य की किरणें नहीं पड़ती।
चंद्रयान 2 के तीन चरण थे – ऑर्बिट, लैंडिंग और रोविंग। ऑर्बिट ठीक रहा लेकिन लैंडिंग में परेशानी हो गयी जिससे रोविंग भी नहीं हो सकी। हमने पता किया कि प्रोपल्शन में गलती थी जिसकी वजह से सही लैंडिंग नहीं हो सकी। इन सबका ख़ास ध्यान चंद्रयान 3 में रखा गया जो 23 अगस्त 2023 को सफलतापूर्वक चांद पर पहुंचा।
पीएम के सामने भावुक होना अलग पल था
सिवन ने बताया, चंद्रयान मिशन की विफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साथ में थे। उन्होंने मुझे गले लगाया, वह बहुत भावुक पल था। लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री ने आंसू पोंछे, सांत्वना दी, उससे मुझे शक्ति मिली और जल्द से जल्द वापस काम पर लगने की प्रेरणा भी। हम तुरंत काम पर वापस लौटे। फिर हमने पूरा डाटा वापस खंगाला और देखा कि कहां गलती हुई है और उसी वक़्त सुधार करना शुरू किया।
[ad_2]
Source link



