[ad_1]
परिसीमन से प्रभावित होंगे 30 वार्ड, इनकी आबादी 20 से 50 हजार, इसे बराबर बांटेंगे
.
नगर निगम चुनाव के पहले परिसीमन किए जाने के सरकार के फैसले ने शहरी राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। नए परिसीमन से 70 में से करीब 30 वार्ड प्रभावित होंगे। इनकी जनसंख्या में असमानता है, जिसमें किसी में 50 हजार तक आबादी है तो किसी में सिर्फ 20 हजार लोग ही रहते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि नए परिसीमन में प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या करीब 25 हजार रखी जाएगी।
शहर के जिन वार्डों की आबादी ज्यादा है, उनकी सीमाएं छोटी की जाएंगी। ताकि मतदाताओं की संख्या कम हो सके। इसी तरह जिन वार्डों की जनसंख्या कम है उन वार्डों की सीमाएं बढ़ाई जाएगी। वार्डों की सीमाएं कम-ज्यादा करने से ही उस वार्ड में सत्ता का गणित गड़बड़ाएगा। वार्ड के मौजूदा पार्षदों के साथ आगामी निगम चुनाव की तैयारी कर रहे नेताओं को डर सताने लगा है कि उनके वोट बैंक वाला क्षेत्र दूसरे वार्ड में चला गया तो उनका चुनाव जीतना मुश्किल न हो जाए।
पांच साल पहले भी लगभग ऐसा ही हुआ था। निगम चुनाव के कुछ माह पहले सभी 70 वार्डों का परिसीमन किया गया था। उस समय भी कई वार्ड छोटे और कुछ बड़े हुए थे। पिछले चुनाव में भी वार्ड में वोटों का समीकरण गड़बड़ाया था। निगम में अब फिर परिसीमन की प्रक्रिया चालू हो गई है। ये परीक्षण किया जा रहा है कि शहर कौन-कौन से वार्ड में मतदाता ज्यादा हैं और कम मतदाता वाले कौन कौन से वार्ड हैं। भास्कर ने पड़ताल के दौरान ऐसे वार्डों की पहचान की है, जिनमें मतदाता ज्यादा और कम है। यानी आने वाले चुनाव में इन वार्डों में वोट बैंक का गणित प्रभावित होगा।
आउटर ज्यादा प्रभावित क्योंकि वहां तेजी से बढ़ी जनसंख्या
आउटर के अधिकांश वार्डों की सीमाएं छोटी की जाएंगी। पिछले पांच-दस सालों में आउटर के वार्डों में ही जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। यहां खुली जमीनें होने के कारण निजी बिल्डरों ने बड़ी-बड़ी कालोनियां बनाई और लोग बस गए। अवैध कालोनियां भी इन्हीं क्षेत्रों बनी हैं। इसके अलावा शहर से झोपड़ पट्टी हटाकर वहां बसे लोगों को आउटर की बीएसयूपी कालोनी शिफ्ट किया गया है।
इस वजह से दलदल सिवनी, कचना, मोवा, सड्ढू, अमलीडीह, चंगोराभाठा, सरोना, भाठागांव, पुरैना, कबीर नगर, कमल विहार, डुंडा, बोरियाखुर्द जिन वार्डों में हैं वहां की जनसंख्या 50 हजार से ज्यादा है। वहीं, शहर के भीतरी इलाकों और अधिक व्यावसायिक क्षेत्र वाले वार्डों को सीमा बढ़ायी जाएगी। क्योंकि यहां घरों को व्यवसायिक संस्थान में बदल दिया गया है जिससे आबादी कम हो गई है।
वोटिंग बूथ और वार्ड सीमा भी सुधरेगी
परिसीमन के लिए वोटिंग बूथ और वार्ड सीमा को भी सुधारा जा रहा है। कुछ वार्ड ऐसे हैं, जहां के मतदाताओं को वोटिंग करने के लिए दूसरे वार्ड में जाना पड़ता है। जैसे शहीद पंकज विक्रम वार्ड के छत्तीसगढ़ नगर के मतदाताओं का बूथ दूसरे वार्ड में बनाया जाता है। भक्त माता कर्मा वार्ड के कुछ मतदाता खूबचंद बघेल वार्ड की सीमा में रहते हैं। इसकी एक बड़ी विसंगति यह है कि जिस वार्ड के वे मतदाता हैं, उस वार्ड के पार्षद उन्हें सुविधा नहीं दिला पाते, क्योंकि वे दूसरे पार्षद के वार्ड में आते हैं।
जिसकी सरकार, उसकी ही चलती है
2019 में परिसीमन हुआ तब यह आरोप लगाया गया कि ज्यादा से ज्यादा वार्डों में कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिताने के लिए कांग्रेस की विचारधारा वाले वोटरों का केंद्रीकरण किया गया। भाजपा समर्थक मतदाताओं को जानबूझकर दूसरे वार्डों में शिफ्ट किया गया। वहीं, 2024 में हो रहे परिसीमन को लेकर भी यही कहा जा रहा है कि भाजपा को फायदा दिलाने के लिए उनके समर्थक वोटरों को एक जगह लाने का खेल चलेगा। पिछली बार महापौर का चुनाव पार्षदों ने किया था।
दावा-आपत्तियां सैकड़ों, निराकरण सिर्फ गिनती के
रायपुर समेत सभी निकायों का परिसीमन हो रहा है। प्रारंभिक प्रकाशन के बाद दावा-आपत्तियां भी एक-दो दिन में बुलाई जाएंगी। रायपुर निगम की दावा-आपत्ति में थोड़ा वक्त लगेगा। अफसरों के अनुसार परिसीमन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। इसलिए 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है। ऐसा माना जा रहा है कि 17 जुलाई को परिसीमन का प्रकाशन हो सकता है। हालांकि इसका ज्यादा महत्व नहीं होता, क्योंकि दावा-आपत्तियों को शत-प्रतिशत निराकरण नहीं होता। 2019 के चुनाव के पहले हुए परिसीमन में करीब साढ़े चार सौ दावा-आपत्तियां आई थीं।

नोट-इन वार्डों की आबादी 40 से 50 हजार के बीच होने का अनुमान है।
इन वार्डों की बढ़ेगी सीमा
30-शंकर नगर वार्ड
48-मदर टेरेसा वार्ड
37-तात्यापारा वार्ड
39-स्वामी आत्मानंद
38-शहीद चुड़ामणी नायक
27- इंदिरा गांधी
26-दानवीर भामाशाह
14- रमण मंदिर
13-राजीव गांधी
18 बालगंगाधर तिलक
11-कालीमाता वार्ड
51-पं. विद्याचरण शुक्ल
नोट– इन वार्डों की आबादी 25 से 30 हजार या कम हाेने का अनुमान।
[ad_2]
Source link



