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नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एन पी) के तहत प्रदेश के कॉलेजों में इस सत्र से यूजी फोर्थ ईयर शुरू होने जा रहा है। यह दो तरह ऑनर्स और रिसर्च विथ ऑनर्स में होगा। लेकिन, जुलाई का पहला पखवाड़ा बीतने को है परंतु अब तक कोर्स की किताबें प्रकाशित नहीं हुईं हैं। इसके प
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प्रदेश के कॉलेजों में लगभग एक लाख विद्यार्थियों के फोर्थ ईयर में प्रवेश लेने की संभावना है। इसके लिए प्रक्रिया भी जल्द शुरू होने के आसार हैं। अगस्त से कक्षाएं लगेगी। लेकिन छात्रों को बिना किताबों के ही पहुंचना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी।
सिलेबस देर से तैयार हुआ… हर साल की यही कहानी
फोर्थ ईयर की प्रक्रिया शुरू से धीमी गति से हुई। विभाग में सिलेबस तैयार करने का काम जून तक चलता रहा। इसके बाद इसे अपलोड किया गया। अब हिंदी ग्रंथ अकादमी के अधिकारियों का कहना है कि जब सिलेबस ही लेट मिला है तो वे क्या करेंगे। किताबों के लिए लेखन कार्य चल रहा है।
प्रकाशन भी हो रहा है। लेकिन, समय लगेगा। गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग ने इस साल फरवरी-मार्च से ही सिलेबस बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इसके लिए ऑनलाइन मीटिंग भी हुईं। शिक्षकों की बड़ी टीम भी इस काम में लगाई गई थी। अब अकादमी की किताबें न होने से इसका सीधा लाभ प्राइवेट पब्लिशर उठाएंगे। सिलेबस देर से तैयार होने की प्रमुख वजह प्लानिंग की कमी रही। एनईपी लागू होते ही सिलेबस पर काम होना चाहिए था। जल्दबाजी में फैसले लिए गए और इस वजह से किसी भी वर्ष किताबें समय पर प्रकाशित नहीं हो सकी। हर साल ऐसा ही हुआ।
बिना किताबों के क्या पढ़ेंगे विद्यार्थी
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. संजय तैलंग ने कहा कि अब तक किताबें नहीं मिली हैं। कक्षाएं लगेंगी तो प्रोफेसर्स अपने अनुभव के आधार पर पढ़ाएंगे। इसमें छात्रों को समस्या होगी। किताबों के लेखन के बाद अशुद्धि दूर करने के लिए इनकी दोबारा जांच होती है। इसके बाद प्रकाशन में भी समय लगता है। जानकारी के मुताबिक सितंबर तक भी किताबें मिल जाएं तो बड़ी बात होगी।
80 से ज्यादा विषयों का सिलेबस
विभाग को फोर्थ ईयर के लिए 80 से ज्यादा विषयों का सिलेबस तैयार करना था। लेकिन, कई विषयों का काम अब भी अधूरा है। गौरतलब है कि अकादमी हर साल विद्यार्थियों के लिए किताबें प्रकाशित करती है। इससे लाखों छात्रों को लाभ होता है। लेकिन, यह समय से प्रकाशित नहीं हो पाती।
सिलेबस वेबसाइट पर
^किताबें तो जुलाई तक मिल जानी चाहिए। हमने तो सिलेबस तैयार कर वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया है। जब कक्षाएं लगे तब छात्रों को किताबें मिल सके। सिलेबस तैयार करने में थोड़ा समय लगा लेकिन किताबें तो समय पर उपलब्ध होनी चाहिए।
डॉ. धीरेंद्र शुक्ला, ओएसडी उच्च शिक्षा
लेखन कार्य चल रहा है
^जब सिलेबस ही लेट आया तो क्या किया जा सकता है। अभी लेखन और प्रकाशन का काम चल रहा है। प्रयास रहेगा कि जल्द यह काम पूरा हो जाए। अभी यह नहीं कहा जा सकता कि कितना समय लगेगा, काम चल रहा है।
डॉ. अशोक कड़ेल, संचालक, मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी
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