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There were no statements about the bomb, we will get information from NRIF | इंदौर पुलिस अब तक नहीं ले सकी बम का बयान: लॉ कॉलेज फैकल्टी विवाद में कोर्ट से फिर मांगा दो महीने का समय – Indore News

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इंदौर में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले अक्षय कांति बम के कॉलेज को लेकर लगी याचिका में पुलिस ने एक बार फिर कोर्ट से दो माह का समय मांगा है।

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अक्षय के कॉलेज को लेकर पुरानी फैकल्टी ने 1 मई को परिवाद दायर किया था। जिसकी सुनवाई 10 मई को हुई थी। इसमें पुलिस को जवाब देने के लिए 10 जुलाई तक का समय दिया गया था। 10 जुलाई को राउ पुलिस ने बम का बयान लेने और अन्य इन्वेस्टिगेशन के लिए सरकारी वकील के माध्यम से फिर 2 माह का समय मांगा है।

वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि पुलिस ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अभी कॉलेज के मामले में अक्षय कांति बम के बयान नहीं हुए हैं। उन्हें सूचना भेजी गई। लेकिन बयान देने नहीं आए। इसके साथ ही उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रैंकिंग फ्रेम वर्क (एनआईआरएफ) की रिपोर्ट का हवाला भी दिया। जिसमें कॉलेज की तरफ से जानकारी भेजी जाती है। वही उन्होंने बताया कि जिस भी वेबसाइट के माध्यम से फैकल्टी और अन्य जानकारी दी गई है। उसका भी डेटा अभी इकट्‌ठा करना है। जिसमें समय लग रहा है।

यह है पूरा मामला
अक्षय के कॉलेज इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ की पुरानी फैकल्टी डॉ कविता दवे, विशाल पुराणिक, रूपाली व अन्य असिस्टेंट और एसोशिएट प्रोफेसर के पद पर कॉलेज में नौकरी करते थे। सभी ने काफी समय पहले कॉलेज छोड़ दिया था। इसके अलावा रश्मि शुक्ला नाम की फैकल्टी ने नवंबर 2022 में सुसाइड कर लिया था। इसके बावजूद कॉलेज मैनेजमेंट ने वेबसाइट पर नेशनल इंस्टीटयूशन रैंकिग फ्रेमवर्क के डेटा में असिस्टेंट प्रोफेसर रश्मि शुक्ला, विशाल पुराणिक, आशीष कुमार सोनी, डॉक्टर माधुरी मोदी, डॉक्टर योगिता मेनन, डॉक्टर योगिता चौहान, अमरेश पटेल, नवीन दवे, सौरभ कुमार, डॉक्टर दिनेश अशोक, डॉ कविता दुबे, करणजीत कौर और रूपाली को कालेज में नियमित नौकरी पर दिखाया। यह डेटा मार्च अप्रैल 2024 में ही अपलोड किया गया। फैकल्टी के दस्तावेज के जरिए नेट रैंकिग A+ एवं ऑटोनॉमस स्टेटस भी प्राप्त किया था। इस मामले में परिवाद बनाकर कोर्ट में माननीय न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। जिसमें अब दो माह का और समय लिया गया है।

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