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हमीदिया अस्पताल में इमरजेंसी की फॉल्स सीलिंग के बाद अब छज्जा गिरने का मामला सामने आया है, मंगलवार दोपहर करीब 1:30 बजे पुरानी ट्रांमा बिल्डिंग और ओल्ड ओपीडी ब्लाक के बीच स्थित एक छज्जा गिरा, जिसमें 3 गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुईं। बताया जा रहा है कि इसमें
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यहां मौजूद लोगों की माने तो नीचे तीन गाड़ियां खड़ी थीं, एक दम बहुत तेज कुछ गिरने की आवाज आई, जब पलटकर देखा तो तीन गाड़ियों पर मलवा गिरा हुआ था, कुछ देर पहले की एक युवक वहां से गाड़ी पार्क करके निकला था, बताया जा रहा है कि यह वह जगह है जहां रोजाना सैकड़ों लोगों की आवक जावक रहती है। इससे पहले रविवार सोमवार की दरमियानी रात को इमरजेंसी की नई बिल्डिंग में गिरी फॉल्स सीलिंग को भी अस्पताल प्रबंधन ने ठीक कर दिया है। हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक सुनीत टंडन ने कहा कि हमें अभी छज्जे की सूचना मिली है, इसमें कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ है, कुछ टू व्हीलर पर यह छज्जा गिरा था, जिससे वह क्षतिग्रस्त हो गई, यह हमीदिया की पुरानी बिल्डिंग की घटना है।

छज्जा गिरने के बाद क्षतिग्रस्त हुईं टू व्हीलर।
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सोमवार देर रात करीब सवा बारह बजे हमीदिया के इमरजेंसी वार्ड की फॉल सीलिंग गिर गई। हादसा उस वक्त हुआ जब डॉक्टर सौमित्र बाथम मरीजों को देख रहे थे। यह वही कमरा है जहां पर पर्चा बनवाने के बाद मरीज सबसे पहले पहुंचते हैं। डॉक्टर सौमित्र बाथम ने बताया कि घटना रविवार रात 12.10 बजे की है। मैं इमरजेंसी वार्ड में अपने कैबिन में मरीज देख रहा था। इसी दौरान खिड़की के पास की फॉल सीलिंग भरभरा कर गिर गई। मैं पेशेंट के साथ केबिन से तुरंत बाहर आ गया। गनीमत रही कि मुझे और पेशेंट को कोई चोट नहीं आई। फॉल सीलिंग गिरने की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी है। पढ़ें पूरी खबर
हमीदिया का इतिहास
जानकारों के मुताबिक 1890 में वाइसराय लैंसडाउन और उनकी पत्नी ने भोपाल आगमन पर महिलाओं के लिए अस्पताल बनाने का प्रस्ताव दिया। 1891 में सुल्तानिया अस्पताल की नींव रखी गई। जिसे उस समय लेडी लैंसडाउन वुमन हॉस्पिटल नाम दिया गया। इसके करीब 10 साल बाद पुरानी कोतवाली में 25 बिस्तरों का छोटा सा अस्पताल शुरू हुआ जिसे प्रिंस ऑफ वेल्स किंग एडवर्ड मेमोरियल हॉस्पिटल फॉर मेन नाम दिया गया। 1951 में इसे फतेहगढ़ किले के खाली पड़े हिस्से में स्थानांतरित कर दिया गया। यही आज का हमीदिया अस्पताल है।
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