मध्यप्रदेश

The post of Commissioner of Medical Education will be abolished, Health Commissioner will be the head of both the departments | चिकित्सा शिक्षा विभाग: खत्म होगा आयुक्त चिकित्सा शिक्षा का पद, हेल्थ कमिश्नर ही दोनों विभाग के प्रमुख – Bhopal News


मध्यप्रदेश सरकार आयुक्त चिकित्सा शिक्षा का पद खत्म करने जा रही है। इसके लिए प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में जाएगा। इसके साथ ही 30 अन्य ऐसे पद जो स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग में एक जैसे हैं, उन्हें भी खत्म करने की तैयारी है।

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दरअसल, चिकित्सा शिक्षा विभाग को स्वास्थ्य आयुक्त के अधीन लाने की योजना है। यह कवायद इसलिए की जा रही है, क्योंकि स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के मर्जर के बाद से अभी भी दो अलग-अलग प्रमुख बने हुए हैं। सरकार की योजना विभाग के लिए केवल एक एचओडी नियुक्त करने की है। स्वास्थ्य विभाग जल्द ही आदेश जारी करने जा रहा है। वर्तमान में विवेक पोरवाल स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त एवं प्रमुख सचिव हैं। तरुण पिथोड़े चिकित्सा शिक्षा आयुक्त हैं। पोस्ट सरेंडर होने के बाद अब इस विभाग को संभालने वाला एक ही अधिकारी होगा।

परफार्मेंस सुधरेगा, को-आर्डिनेशन बेहतर होगा
1978-79 में मेडिकल एजुकेशन के नाम पर अलग विभाग बना दिया गया था, जबकि केंद्र सरकार में स्वास्थ्य विभाग एक ही है। मप्र में एक विभाग मेडिकल टीचिंग, दूसरा स्किल का काम करता आया है। जिससे व्यावहारिक दिक्कतें आती थीं। कई बार ऐसा होता है कि मेडिकल कॉलेज से संचालित अस्पताल में स्टाफ अधिक होता, जबकि स्वास्थ्य विभाग के अधीन होने के कारण जिला अस्पताल स्टाफ की कमी से जूझता था।

अब इससे राहत मिलेगी। अब एक ही व्यक्ति सभी स्वास्थ्य सेवाओं को गाइड करेगा। परफार्मेंस और अच्छा होगा। कोआर्डिनेशन में और अधिक सुधार होगा। मेडिकल कॉलेज संचालित अस्पताल और जिला अस्पतालों के लिए जांच की मशीनों का लाभ सभी को मिलेगा। शासन की स्वास्थ्य सुविधाओं में एक जैसा सिस्टम लाने की सोच को आकार देने में आसानी होगी।

हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी
राज्य के प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभागों का विलय हो चुका है। मेडिकल कॉलेज कायम करने के पहले अस्पताल बनाना जरूरी है। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने का वादा किया था। हालाकि, सरकार के पास हर जिले में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाने के लिए पर्याप्त बजट नहीं है। मेडिकल कॉलेजों को उन जगहों के जिला अस्पतालों से जोड़ा जाएगा, जहां कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है।

दोनों विभागों का विलय हो चुका है। ऐसे में दो अलग-अलग पद नहीं होने चाहिए। प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल्द ही कैबिनेट के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। हम करीब 30 पद सरेंडर कर रहे हैं।
– विवेक पोरवाल, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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