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तानाशाह की सेटेलाइट तो हो गई फेल, पर…, किम जोंग की तारीफ करते नहीं थक रहे एक्सपर्ट

प्योंगयांग, उत्तर कोरिया. उत्तर कोरिया का नया सेटेलाइट लॉन्च रॉकेट उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद ही येलो सागर में गिरने से पहले आग के गोले में तब्दील हो गया. मगर एक्सपर्ट का कहना है कि इस कोशिश ने परमाणु- हथियार संपन्न देश की अंतरिक्ष की दौड़ में नई प्रगति दिखाई है. उत्तर कोरिया ने एक बयान में कहा कि सैन्य टोही सेटेलाइट को लॉन्च करने का उसकी ताजा कोशिश सोमवार को रॉकेट के पहले चरण के दौरान उड़ान में विफल हो गई. जिसमें एक नया लिक्विड ऑक्सीजन और पेट्रोलियम इंजन उपयोग किया गया था. एक शुरुआती जांच से पता चला कि धमाके का नया कारण लिक्विड-फ्यूल रॉकेट मोटर थी. जबकि इसके अन्य संभावित कारणों की जांच की जा रही है.

सरकारी मीडिया केसीएनए की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह नवंबर 2023 में सफल सेटेलाइट लॉन्च में इस्तेमाल किए गए चोलिमा-1 रॉकेट से सबसे ज्यादा अलग था. हालांकि सरकारी मीडिया ने रॉकेट का नाम नहीं बताया या उसकी तस्वीरें जारी नहीं कीं. एक्सपर्ट ने कहा कि चोलिमा-1 को भी सफलता से पहले कई विस्फोटों का सामना करना पड़ा था. चोलिमा हाइपरगोलिक ईंधन का उपयोग करता है. ये ऐसे पदार्थ हैं जिन्हें कमरे के तापमान पर रखा जा सकता है, लेकिन एक दूसरे के संपर्क में आने पर आग लग जाती है. जिसके लिए सावधानीपूर्वक व्यवस्था करने की जरूरत होती है.

अमेरिकी अधिकारियों और स्वतंत्र एक्सपर्ट ने कहा कि चोलिमा-1 उत्तर कोरिया की परमाणु-संपन्न अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए विकसित प्रणालियों पर आधारित प्रतीत होता है. जो भंडारण के लिए जरूरी ठंडे तापमान के कारण आम तौर पर लिक्डवि ऑक्सीजन का उपयोग नहीं करते हैं. दक्षिण कोरिया के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति संस्थान के मानद अनुसंधान फेलो ली चून-ग्यून ने कहा कि पेट्रोलियम फ्यूल और लिक्विड ऑक्सीजन इंजन से यह संकेत मिलता है कि रूस ने इसके विकास में मदद की होगी.

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उन्होंने कहा कि भले ही यह विफल लॉन्च हो गया हो, यह एक बड़ी छलांग है. उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया के कुछ अंतरिक्ष रॉकेट शुरू में दशकों पहले रूस के साथ विकसित किए गए थे और समान तकनीक का उपयोग करते हैं. रूस लिक्विड ऑक्सीजन-केरोसिन ईंधन इंजन इस्लेमाल करने वाला सबसे मजबूत देश है. हमारे नारो और नूरी रॉकेट ने रूस के साथ तकनीकी सहयोग के माध्यम से इसे अपनाया है. उन्होंने कहा कि शायद यही कारण है कि उत्तर कोरिया ने पिछले साल के अंत में कई सफल रॉकेट परीक्षण किए.

Tags: North Korea, Space, Space Exploration, Space news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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