[ad_1]

इंदौर में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए अक्षय कांति बम को लेकर पुलिस ने समय मांगा है। इसमें अफसरों ने अपनी तरफ से रिपोर्ट सब्मिट करने के लिये 30 दिन की अवधि मांगी। कोर्ट ने उन्हें एक मौका देते हुए अगले माह की 10 तारीख तक अपनी पूरी कार्रवाई और पे
.
जिला न्यायालय में डॉक्टर अक्षय कांति बम को लेकर कॉलेज के पुराने फैकल्टी ने 1 मई को परिवाद दायर कराया था। जिसकी सुनवाई 10 मई को हुई थी। पुलिस की तरफ से कोर्ट में पेश होकर अफसरों ने मत दिया कि चुनावी प्रक्रिया के चलते इस मामले में वह जांच नही कर पाए। उन्हें इसके लिये 1 माह का समय दिया जाए।
कोर्ट ने पुलिस की बात मानते हुए पूरी जांच 10 जुलाई तक कोर्ट में पेश करने की बात कही है। परिवाद दायर करने वाले वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे ने बताया कि अब इस मामले में 10 तारीख तक अक्षय को लेकर कोर्ट आगे की कार्रवाई के लिये फैसला सुना सकती है।
वकील ने बताया कि अक्षय ने फैकल्टी को लेकर की गई शिकायत के बाद अपनी वेबसाइट से सबूतों को हटाया था। लेकिन उन्होंने एक पेन ड्राइव में पूरे सबूत इकट्ठा करके उसकी एक कॉपी पुलिस को कोर्ट के सामने बंद लिफाफे में दी थी। वही दूसरी कोर्ट को सौपीं गई थी।
क्या है मामला
अक्षय के कॉलेज इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ की पुरानी फैकल्टी डॉ. कविता दिवे, विशाल पुराणिक, रूपाली व अन्य असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कॉलेज में नौकरी करते थे। सभी ने काफी समय पहले कॉलेज छोड़ दिया था। इसके अलावा रश्मि शुक्ला नामक फैकल्टी ने नवंबर 2022 में सुसाइड कर लिया था। इसके बावजूद कॉलेज मैनेजमेंट ने वेबसाइट पर नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क के डेटा में असिस्टेंट प्रोफेसर रश्मि शुक्ला, विशाल पुराणिक,आशीष कुमार सोनी, डॉ. माधुरी मोदी, डॉ. योगिता मेनन, डॉ. योगिता चौहान, अमरेश पटेल, नवीन दवे, सौरभ कुमार, डॉ. दिनेश अशोक, डॉ. कविता दुबे, करण जीत कौर, रूपाली को कॉलेज में नियमित नौकरी पर दिखाया। यह डेटा मार्च-अप्रैल 2024 में ही अपलोड किया गया। फैकल्टी के दस्तावेज के जरिए नेक रैंकिंग A + एवं ऑटोनोमस स्टेटस भी प्राप्त किया था। इस मामले में परिवाद बनाकर कोर्ट में माननीय न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
[ad_2]
Source link



