The young man got the idea from his uncle and started an ice cream factory with a daily turnover of Rs 10,000. – News18 हिंदी

दीपक कुमार/बांका. बिजनेस शुरू करना और उसे बुलंदियों तक ले जाना, दो अलग-अलग बातें हैं. असली मेहनत बिजनेस शुरू करने के बाद उसे ऊंचाइयों तक ले जाने में होती है. इसमें वही शख्स सफल हो पाता है जो कड़ी मेहनत करता है. ऐसी ही कहानी है बांका जिला के रजौन प्रखंड अंतर्गत धौनी गांव निवासी श्रीकांत भारती की. उन्होंने एम. कॉम की पढ़ाई के बाद नौकरी न मिलने पर अपना खुद का कारोबार शुरू किया.
श्रीकांत भारती बताते हैं कि पढ़ाई के बाद काफी दिनों तक सरकारी नौकरियों की तलाश में कड़ी मेहनत की लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी जिससे निराश होकर घूमने के लिए अपने मामा के गांव चला गया. वहां देखा कि यहां पर आइसक्रीम का रोजगार काफी अच्छा चल रहा है. जिससे लोग अच्छी कमाई कर लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं. यह कॉन्सेप्ट मुझे काफी पसंद आया जिसके बाद आइसक्रीम फैक्ट्री के बारे में यूट्यूब के माध्यम से गहन जानकारी प्राप्त की और इस दौरान प्रधानमंत्री रोजगार योजना का नोटिफिकेशन निकाला था और आइसक्रीम की स्वीकृति के लिए फॉर्म भरा, जिसके बाद मुझे 9.50 लाख की अनुदान राशि मिली और गाजियाबाद से मशीन की खरीदार कर आइसक्रीम की फैक्ट्री की शुरुआत की.
कहां से लाते हैं रॉ मटेरियल
श्रीकांत भारती ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि आइसक्रीम के लिए रॉ मटेरियल को भागलपुर से खरीदते हैं. उन्होंने बताया कि हमारे यहां चोकोबार, मटका कुल्फी, ऑरेंज, कप कैंडी जैसी आइसक्रीम को बनाया जाता है. चोकोबार बनाने के लिए चोको पेस्ट, जीएनएस, एस फॉर पाउडर, बेनेला पाउडर, दूध, चीनी, को मिलाकर बड़े टब में रखा जाता है जिसके बाद मिक्स दूध को चरनल मशीन में डालकर तैयार किया जाता है और फिर उसे फ्रेम में डालने के बाद लोली टैंक में डाल कर तैयार करते है. करीब 1 घंटे के बाद तैयार हुई आइसक्रीम को पैकिंग करके बेचने वालों को दे दी जाती है जो स्थानीय स्कूलों और बाजारों में जाकर बेचते हैं. वह बताते हैं कि चोकोबार को तैयार करने में 6 रुपए की खर्च आता है जिसे 8.50 रुपए में हाउकर को दिए जाते हैं साथ ही बताते हैं कि एक दिन में 10 हजार रुपए की आइसक्रीम बिक जाती है.
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FIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 11:34 IST
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