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EXCLUSIVE: क्या कांग्रेस में यंग लीडरशिप को नहीं मिल रहा मौका? जानें क्या बोलीं प्रिया दत्त

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कांग्रेस नेता प्रिया दत्त से एक्सक्लूसिव बातचीत।

देश की राजनीति में सालों तक सक्रिय भूमिका निभाने वाली प्रिया दत्त ने इंडिया टीवी से एक्सक्लूसिव बात की। इस दौरान ये पूछे जाने पर कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में वह चुनाव लड़ेंगी? इस पर उन्होंने कहा कि वह पिछली बार भी चुनाव लड़ना नहीं चाहती थीं, लेकिन लास्ट में जाकर उन्होंने इलेक्शन लड़ने का फैसला लिया और उसी समय ये भी डिसीजन लिया कि इसके बाद चुनाव नहीं लड़ूंगी। उन्होंने कहा कि मैं कांग्रेस में हूं और अभी रिजाइन नहीं किया है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 2024 में चुनाव लड़ने की कोई संभावना नहीं है। 

युवा नेता क्यों छोड़ रहे हैं कांग्रेस?

प्रिया दत्त से पूछा गया कि बीते दिनों कांग्रेस के कई यूथ नेता पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं। इस पर वह क्या कहेंगीं? प्रिया दत्त ने इसका जवाब देते हुए कहा कि ऐसी खबरें सुनकर बहुत अफसोस होता है, क्योंकि सभी के साथ मैंने काम किया है। ये सभी लोग देश का भविष्य हो सकते हैं, लेकिन जब ये पार्टी छोड़ देते हैं तो बहुत तकलीफ होती है। जिन लोगों ने पार्टी छोड़ी है, उन्हें भी तकलीफ हुई होगी, क्योंकि उनके भी कई सालों से कांग्रेस के साथ रिश्ते रहे हैं। मुझे लगता है कि सभी के द्वारा पार्टी छोड़ने की अलग-अलग वजहें हो सकती हैं, लेकिन आखिरी में नुकसान तो हमारा ही है। 

क्या ईडी और सीबीआई का है डर?

वहीं मिलिंद देवड़ा या ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं के कांग्रेस छोड़ने की वजह को लेकर सवाल किया कि क्या ये लोग ईडी या सीबीआई के डर से पार्टी छोड़ रहे हैं? इस पर प्रिया दत्त ने कहा कि वो तो मैं नहीं बता सकती कि किस वजह से पार्टी छोड़कर निकल रहे हैं? सभी की पार्टी छोड़ने की अपनी-अपनी वजहें हो सकती हैं, ये तो वही बता सकते हैं। आत्मचिंतन करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी दलों को आत्मचिंतन की जरूरत है। सभी को ये देखने की जरूरत है कि हम कहां जा रहे हैं और क्या सुधार की जरूरत है।

यंग लीडरशिप को नहीं मिल रहा मौका?

इस सवाल पर कि कांग्रेस यंग लीडरशिप की बात करती है, लेकिन कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं तो क्या यंग लोगों को लीडरशिप का मौका नहीं मिल रहा है? इस पर प्रिया दत्त ने कहा कि पार्टी में बुजुर्ग नेताओं का भी रहना जरूरी है। उनके अनुभवों की जरूरत पार्टी को हमेशा होती है। पार्टी में बुजुर्गों का अनुभव को नए लोगों की सोच दोनों का कॉम्बिनेशन होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग नेता भी पार्टी के लिए उतने ही जरूरी हैं, उनसे सीखने की जरूरत है। हम आज भी नेहरू जी और गांधी जी की बातें करते हैं क्योंकि उनसे सीखने की जरूरत है।

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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