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जेलों में भी रमजान की रौनक दिखाई दे रही है।
– फोटो : सोशल मीडिया
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कुछ गलत सोहबत के चलते, तो कुछ गंदी आदतों के मोहपाश में बंधकर, कोई मजबूरी में तो कोई किसी साजिश की खातिर… प्रदेश की जेलों में बंद हजारों कैदी अब सजा काट रहे हैं या अदालत के फैसले के इंतजार में हैं। माह ए रमजान में हर शाम जब इफ्तार का दस्तरख्वान सकता है, तो इफ्तार से पहले इन कैदियों की जुबान पर तौबा और पश्चाताप के स्वर चढ़े होते हैं। इनके दिलों से पुकार निकलती है कि ज़िंदगी की जिन गलतियों के बदले वे इन सलाखों और चारदीवारी में घिर गए हैं, दोबारा उन्हें नहीं दोहराएंगे। जेल से बाहर होंगे तो भलाई, सच्चाई और नेकी की जिंदगी खुद भी गुजारेंगे और दूसरों को भी इसकी ताकीद करेंगे।
राजधानी भोपाल की कुछ सामाजिक संस्थाओं द्वारा हर साल रमजान में कैदियों के लिए रोजा इफ्तार की व्यवस्था की जाती है। जेल मुख्यालय से विशेष अनुमति के साथ इस आयोजन को अंजाम दिया जाता है। जेल मैन्युअल के मुताबिक कैदियों को दी जाने वाली डाइट के अलावा दी जाने वाली इफ्तार सामग्री की जानकारी भी मुख्यालय को दी जाना होती है। साथ ही जेल के अंदर जाने से पहले इस सभी खाद्य वस्तुओं की जांच भी कराई जाती है। शहर की एनएसपीआर संस्था पिछले 10 सालों से प्रदेश की जेलों में बंदियों के लिए रोजा इफ्तार आयोजन कर रहे हैं।
संस्था अध्यक्ष आमिर अल्वी ने बताया कि इस रमजान अब तक भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, गुना, अशोकनगर, शिवपुरी, सीहोर, देवास, जबलपुर, सतना, रीवा, सागर, महू, लटेरी, छतरपुर आदि जेलों में इफ्तार आयोजन किया जा चुका है। अल्वी बताते हैं कि रमजान के बाकी बचे दिनों में संस्था सीहोर, रायसेन, देपालपुर, हरदा, सागर, विदिशा आदि में ये आयोजन करने की योजना है।
सामाजिक समरसता का नजारा
प्रदेश की विभिन्न जेलों में होने वाले रोजा इफ्तार के दौरान जहां मुस्लिम बंदी मौजूद रहते हैं, वहीं बड़ी तादाद में हिंदू धर्मावलंबी भी शामिल रहते हैं। सामाजिक समरसता के इस नजारे को निहारने में जेल प्रबंधन के अधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद रहते हैं। सामाजिक संस्थाओं की तरफ से जाने वाले लोगों में भी सभी धर्मों के लोग शामिल रहते हैं।
खिदमत करने हम आएं, किसी से खिदमत के मोहताज न रहें…
भोपाल केंद्रीय जेल में आजीवन कारावास काट रहे कवि कुद्दुस कहते हैं कि हर रमजान बाहर से कुछ लोग आते हैं, हमारी फिक्र करते हैं, इफ्तार और खाने के इंतजाम करते हैं और हमारी रिहाई के लिए दुआएं भी करवाते हैं, लेकिन रमजान की इन इबादतों में हम खास दुआओं में जिंदा लोगों के इस कब्रिस्तान (जेल) से निजात और रिहाई की गुजारिश कर रहे हैं। अल्लाह से गिड़गिड़ाकर यही दुआएं कर रहे हैं कि हमारे गुनाह, गलती, खताओं को माफ कर दे। दुनिया में ही हमारे गुनाहों की सजा देकर पाक साफ कर दें, ताकि जब मौत के बाद अल्लाह से सामना हो तो किसी सजा की गुंजाइश और डर दिल में न रहे।
(भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट)
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