अजब गजब

नहीं बिकी तो लौटा दूंगी…0 इंवेस्टमेंट से शुरू किया बिजनेस, 10 लोगों को देती हैं पगार; मुनाफा ₹50000

शिखा श्रेया/रांची. बिजनेस करने के लिए सबसे पहले हमें कुछ पूंजी की या फिर इन्वेस्टमेंट की जरूरत होती है, लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि जीरो इन्वेस्टमेंट में ही हर महीने 40 से 50,000 की कमाई हो जाएगी तो कहीं ना कहीं आपको मेरी बातों पर थोड़ा शक जरूर होगा. बता दें कि यह 100 टका सच है. दरअसल, झारखंड की राजधानी रांची के अपर बाजार की रहने वाली कनक अग्रवाल ने यह सच कर दिखा है.

57 वर्षीय कनक अग्रवाल ने local 18 को बताया जब मेरी शादी हुई और दो बच्चे हो गए तब मुझे यह एहसास हुआ कि मुझे भी कुछ बिजनेस करना चाहिए और पैसे कमाने चाहिए. अपने पैरों में खड़ा होने का एक जुनून सा सवार हो गया. बचपन से ही कढ़ाई बुनाई करने में बड़ी दिलचस्पी थी तो इसी को अपना व्यवसाय चुना. साथ ही, नए लेटेस्ट डिजाइन की कुर्तियां बनाने की कला मुझमें थी.

जीरो इन्वेस्टमेंट से शुरू किया काम
कनक बताती हैं कि जब मैंने यह काम करने की सोची तो मुझे समझ में नहीं आया कि मैं शुरुआत कहां से करूं, इसलिए मैंने एक दुकान से 20 साड़ी और कुर्ते लिए और उनसे कहा जितना बिकेगा मेले में उतना बेचाऊंगी और बाकी सब आपको लौटा दूंगी और उस दिन मेरी खुशकिस्मती थी कि सारी की सारी कुर्तियां, साड़ी बिक गई. एक दिन में ही 20,000 का मुनाफा हुआ. यही 20 हजार मेरे लिए वरदान साबित हुए और इसी से फिर मैंने अपना माल खरीदना शुरू किया.

कनक आगे बताती हैं कि मेरे पास आपको हैंड एंब्रायडरी किया हुआ हैंड पर्स, मिनी पर्स, फैशनेबल कुर्ते, लहरिया कुर्ती एवं साड़ी, सिल्क साड़ी, फ्लोरल डिजाइन साड़ी मिल जाएगी. इसके अलावा हाथों से बनाई गई ज्वेलरी जैसे झुमके, नेकलेस, कुंदन ज्वेलरी एड डायमंड ज्वेलरी जैसी चीज मिल जाएगी. इसके अलावा आपको खूबसूरत दुपट्टे में हाथों से काम किया गया जरी वर्क लोगों को खूब पसंद आता है.

चार सिलाई मशीन से होलसेल तक का सफर
कनक बताती हैं कि मैंने अपने मुनाफे से सबसे पहले चार सिलाई मशीन खरीदी थी.आज भी वह 4 मशीन मेरे साथ हैं. मेरे साथ कम से कम 7 से 8 लड़कियां काम करती हैं, जो डिजाइन बनाने का काम करती हैं. रायपुर, पटना, कोलकाता से भी ऑर्डर आते हैं. बैंगलोर, मुंबई और चेन्नई में जो यहां के लोग रहते हैं वह मुझसे ही होलसेल रेट में सामान थोक भाव में खरीदते हैं और फिर उसे वहां रिटेल प्राइस में बेचते हैं.

परिवार का मिला सपोर्ट
उन्होंने आगे बताया कि शुरूआत में महीने में 10 से 15000 मुनाफा होता था, लेकिन आज लड़कियों को पेमेंट करने के बावजूद आराम से 40- 50 हजार का मुनाफा हो जाता है. घर में मेरे साथ ससुर और मेरे पति का बड़ा सहयोग रहा. कभी ऐसा भी होता की रात का खाना 10:30 बजे बनाती थी, तो कभी भी पति या ससुर शिकायत नहीं करते की इतना रात क्यों हो गई. बल्कि, वह कहते कि तुम अपना काम खत्म करो पहले. इस तरीके से काफी मोरल सपोर्ट मिला है. जिस वजह से आज यहां हूं.

Tags: Jharkhand news, Latest hindi news, Local18, Ranchi news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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