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इंदौर9 मिनट पहले
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प्रो. फरहत खान।
पांच साल पहले मेरी दोनों किडनियां खराब हो गई थी। दो साल बाद डायसिसिस पर आ गई। हफ्ते में तीन डायलिसिस होता था। हर बार चार घंटे डायलिसिस की पीड़ा मैं बयां नहीं कर सकती। खाने-पीने की इच्छा नहीं होती थी। दिनभर हाथ दु:खता था। मैं अंदर से खोखली हो गई थी। डॉक्टरों ने कहा कि अब सिर्फ ट्रांसप्लांट ही विकल्प है। इससे ही आराम मिल सकता है। इसके लिए एक साल इंतजार करना पड़ सकता है। आठ महीने बीत चुके थे और इस दौरान एक भी ग्रीन कॉरिडोर नहीं बना। फिर एक दिन अचानक डॉक्टर का फोन आया। उन्होंने कहा कि एक ब्रेन डेड की किडनी है। आप 15 मिनट में निर्णय ले लीजिए। मैंने तुरंत पति और रिश्तेदारों से बात की। हम 20 मिनट में हॉस्पिटल पहुंच गए। फिर से सारी जांचें हुई और अगले दिन ट्रांसप्लांट हो गई। अब मैं स्वस्थ हूं।
यह कहानी श्रीनगर कॉलोनी निवासी प्रो. फरहत खान (50) की है।
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