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इंदौर6 मिनट पहले
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जिस प्रकार चंदन का पेड़ अपनी विशेषता के कारण वातावरण को सुगंधित करता है। उसी प्रकार सत्संग भी हमारे जीवन को चंदन वृक्ष की तरह महकाता है। सुमिरन, नाम जाप व भजन ही जीवन का आधार है। जिस स्थान पर सत्संग होता है वहां विराजित सभी संगत गुरू का रूप ही होती है। गुरू के प्रति समर्पित होना आवश्यक है।
यह बात तेजाजी नगर मिर्जापुर स्थित जयगुरुदेव आश्रम पर पर
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