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इंदौर4 मिनट पहले
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विकास के नाम पर बड़ी तेजी से जंगल और पहाड़ काटे जा रहे हैं, प्राकृतिक नदियों के बहाव के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं, जिसके कारण प्रकृति का संतुलन गड़बड़ा रहा है एवं पृथ्वी से करीब 25 प्रतिशत पशु -पक्षियों की जातियां विलुप्त होती जा रही है। हम अभी भी न जागे तो आने वाली पीढ़ी हमें कोसेगी। हम सभी नागरिक अपने व्यक्तिगत स्तर पर तथा सरकारों को पर्यावरण की रक्षा करने के लिए यथार्थ तथा सार्थक प्रयासों की जरूरत है।
विभिन्न वक्ताओं ने डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा अभय प्रशाल
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