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Mp High Court Present Affidavit Regarding Not Retracting Statement In Trial Permission For Abortion – Amar Ujala Hindi News Live

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MP High Court Present affidavit regarding not retracting statement in trial permission for abortion

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग लड़की ने गर्भपात के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई के दौरान पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि गर्भपात संभव है। हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलुवाहिला की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पीड़ित तथा उसके पिता सीजेएम सागर के समक्ष हलफनामा पेश करें। आरोपी ने दुष्कर्म किया था और गर्भपात की अनुमति के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता तथा उसके पिता विवेचना अधिकारी के समक्ष भी हलफनामा पेश करें कि वह ट्रायल के दौरान अपने आरोपों से नहीं मुकरेंगे।

नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की तरफ से पेश की गई याचिका में कहा गया था कि उसकी मां एक व्यक्ति के घर काम करती थी। उसी घर में आरोपी कपिल लोधी कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम करता था। इस दौरान दोनों में दोस्ती हो गई। आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। आरोपी ने खुरई ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे, जिसके बाद वह गर्भवती हो गई थी।

नाबालिग ने 23 अक्तूबर 2023 में आरोपी के खिलाफ सागर जिले के कैंट थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस ने पॉक्सो और दुष्कर्म सहित अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया है। याचिका में कहा गया था कि उसके गर्भ में लगभग नौ सप्ताह का भ्रूण है। याचिकाकर्ता के पिता नहीं चाहते कि उसकी बेटी एक दुष्कर्मी के बच्चे को जन्म दे। इसके अलावा पीड़िता की उम्र 17 साल है, जिसके कारण बच्चे को जन्म देने में उसकी जान को खतरा है।

एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए गर्भपात के संबंध में पीड़ित के मेडिकल जांच के निर्देश दिए थे, जिसके लिए विशेष डॉक्टरों की मेडिकल कमेटी गठन के आदेश भी एकलपीठ द्वारा जारी किए गए थे। मेडिकल जांच में गर्भपात की संभावना बताई गई थी।

एकलपीठ ने नाबालिग पीड़ित को सशर्त गर्भपात की अनुमति प्रदान की है। एकलपीठ ने सीजीएम सागर को निर्देशित किया है कि ट्रायल के दौरान पीड़िता व उसके पिता अपने बयान से मुकरते हैं या पीड़ित खुद को बालिग बताती है तो उसके द्वारा पेश किए गए हलफनामा के साथ हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश करें। एकलपीठ ने अपने आदेष में कहा है कि हलफनामा प्रस्तुत करने बाद ही जांच अधिकारी पीड़िता को मेडिकल बोर्ड के समक्ष गर्भपात के लिए प्रस्तुत करें।

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