[ad_1]
सतीश जैन. इंदौर5 मिनट पहले
- कॉपी लिंक

इस पंचम काल को दुखमा काल भी कहते हैं, यहां सुख तो है नहीं, जिसे सुख समझते हो वो सुखाभास है। जिस सुख का आभास करते हो, उसके बदले में बहुत कीमत चुकानी पड़ती है। जिंदगी आपकी अपनी है लेकिन एक बेटे के जन्म के बाद वह बेटे के लिए हो जाती है। यहां रोकने- टोकने वाला कोई नहीं है, सारे काम हमें स्वयं करना है, भगवान को इससे कोई मतलब नहीं है। हमने ज्ञान को सही तरह से समझा भी नहीं और ग्रंथ को पढ़ लिए। यह बात संविद नगर कनाड़िया रोड स्थित दिगंबर जैन नया मंदिर में आचार्य विहर्ष सागर महाराज ने बुधवार को प्रवचन देते हुए कही।
विवेक से उठाया गया एक-एक कदम हमें पूरा बनाता है
[ad_2]
Source link



