Harsh Imprisonment To Sarpanch And Employment Assistant In Case Of Taking Bribe – Amar Ujala Hindi News Live

सरपंच व रोजगार सहायक को कठोर कारावास
– फोटो : अमर उजाला
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प्राप्त जानकारी के अनुसार फरियादी गोरेलाल अहिरवार ने दिनांक 23.11.2015 को लोकायुक्त पुलिस सागर को इस आशय की शिकायत की थी मैं मजदूरी का कार्य करता हूं, मेरे द्वारा ग्राम पंचायत करकी के मजरा गुंजाई में सामुदायिक भवन का छाप एवं फर्स, गेट पुताई का कार्य किया गया था, जिसकी लागत मय मटेरियल की एक लाख में तय हुई थी।
उन्होंने बताया कि मेरे द्वारा कार्य पूर्ण होने पर सरपंच हीरालाल सौर एवं रोजगार सहायक सचिव राममिलन यादव से मिला तो उन्होंने कहा कि हम तुम्हारा पैसा निकलवा देंगे, लेकिन तुम्हें बाद में कमीशन 15000 लगेगा। सभी मजदूरों एवं सभी मटेरियल का पैसा मिल चुका है। सरपंच एवं रोजगार सहायक द्वारा मुझ पर 15000 रुपये रिश्वत देने का अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है, मैं उन्हें रिश्वंत नहीं देना चाहता हूं, बल्कि उन्हें रिश्वत लेते हुये रंगे हाथों पकड़वाना चाहता हूँ।
11000 रुपये नगद
आवेदन पत्र के जांच उपरांत फरियादी गोरेलाल अहिरवार को वॉयस रिकार्डर दिया गया, जिसमें आरोपीगण द्वारा मांगी जा रही रिश्वत की मांगवार्ता रिकार्ड हो गई। आरोपी सरपंच हीरालाल सौर ने फरियादी से 11000 रुपये नगद रिश्वत सह आरोपी रोजगार सहायक राममिलन यादव को देकर ट्रैप दल को इशारा किया।
लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या
ट्रैप दल ने अंदर जाकर आरोपी सरपंच हीरालाल सौर को रंगे हाथों पकड़ा। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय में पेश किया। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडीपीओ केके गौतम ने पैरवी करते हुए सभी सबूत एवं गवाह कोर्ट में पेश किये एवं आरोपी को कठोर से कठोर सजा की मांग की। विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार जैन की कोर्ट ने फैसला सुनाया कि लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है। जो समाज को खोखला कर रही है।
भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग
भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नींव को हिला रहा है। ऐसे आरोपियों को सजा देते समय नरम रुख दिखाना कानून की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है। कोर्ट ने आरोपी सरपंच हीरालाल सौर एवं आरोपी राममिलन यादव, रोजगार सहायक को भ्रष्टचार निवारण अधिनियम की धारा-7 में चार वर्ष कठोर कारावास एवं 1000 रुपये अर्थदण्ड, व धारा 13(1) (डी) सहपठित धारा 13(2) में चार वर्ष की कठोर कैद व 1000 रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
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