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सुनील मिश्रा.इंदौर3 मिनट पहले
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हमारे जीवन में दया, करुणा और परमार्थ जैसे गुण होना चाहिए। परमात्मा अक्रूर अर्थात जो क्रूर नहीं है, उन्हीं को मिलते हैं। समाज में कंस की प्रवृत्ति तब भी थी और आज भी है। रुक्मिणी से विवाह भगवान के मन में नारी के प्रति मंगलभाव का सूचक है। हमारी भारतीय विवाह पद्धति सारी दुनिया में सबसे श्रेष्ठ मानी गई है अन्यथा पश्चिमी देशों में तो विवाह सात दिन और सात माह में ही टूट जाते हैं। भारतीय संस्कृति में विवाह ही वह संस्कार है, जो समाज को मर्यादा और शालीनता में बांधे हुए हैं। धन का सबसे बड़ा सदुपयोग यही है कि वह जरूरतमंद लोगों की आंखों के आंसू पोंछने के काम आए।
श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद की
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