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वैभव कासलीवाल. इंदौर12 मिनट पहले
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कुलाचार, सदाचार, जैनाचार, श्रावकाचार और मूलाचार इस तरह के पांच प्रकार के आचार होते हैं। अपने कुल की परंपरा के अनुसार आचरण करना कुलाचार कहलाता है। यह धर्मानुकूल होता है। कुलाचार की वजह से संस्कार को स्वीकार करना सदाचार कहलाता है। रोजाना देव दर्शन करना, पानी छानकर पीना, रात्रि भोजन का त्याग करना और शुद्ध भोजन करना जैनाचार कहलाता है। यह बात शनिवार को सुदामा नगर में आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ने कही। पुलक मंच के राष्ट्रीय संयोजक प्रदीप बड़जात्या ने बताया कि पूजन की थाली तो स्वतः ही शुद्ध होती है। आवश्यकता है भोजन की थाली शुद्ध रखना है। चारों आचार का निष्ठा पूर्वक पालन करने के बाद ही मूलाचार की नींव डलती है।
मीडिया प्रभारी वैभव कासलीवाल ने बताया कि दीप प्रज्ज्वलन के
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