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राजस्थान: शादियों के सीजन में परिवहन विभाग की ‘बेरहमी’, चुनाव के लिए जरुरत से ज्यादा वाहनों का किया अधिग्रहण

हाइलाइट्स

परिवहन विभाग ने 9 फीसदी ज्यादा वाहन किए अधिग्रहित
विभाग की यह कार्यप्रणामी शादी समारोह वालों पर भारी पड़ी

जयपुर. राजस्थान विधानसभा चुनाव में प्रदेश के परिवहन विभाग की बेरहमी सामने आई है. राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान संपन्न हुआ है. इससे पहले 23 नंवबर को ‘दवेउठनी ग्यारस’ थी. यह सूबे में शादियों का सबसे बड़ा अबूझ सावा माना जाता है. इसी को देखते हुए भारत निर्वाचन आयोग ने राजस्थान में मतदान की पूर्व निर्धारित 23 नंवबर की तारीख को दो दिन आगे बढ़ाकर 25 नवंबर किया था. लेकिन प्रदेश के परिवहन विभाग ने इस मामले में शादी समारोह वालों के साथ बेजा चोट कर दी. उसने चुनाव के नाम पर जरुरत से ज्यादा वाहनों का अधिग्रहण कर लिया. इससे शादी समारोह में बारातों और अन्य कार्यों के लिए वाहनों की जबर्दस्त मारामारी रही.

विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में पोलिग पार्टियों और अधिकारियों के लिए प्रदेशभर से वाहनों का अधिग्रहण किया जाता है. लिहाजा इस बार भी किया गया. हर बार चुनावों में निर्वाचन विभाग प्रशासन से वाहनों की मांग करता है और अपनी तरफ से वाहनों की संख्या बताता है. इस बार भी निर्वाचन विभाग ने वाहन मांगे लेकिन प्रदेश के परिवहन विभाग ने जरुरत से ज्यादा वाहनों का अधिग्रहण कर लिया और स्कूली बसों को भी नहीं बख्शा.

निर्वाचन विभाग ने 39 हजार 370 वाहनों की मांग की थी
इस बार चुनावों में निर्वाचन विभाग ने चुनाव संपन्न करवाने के लिए परिवहन विभाग से 39 हजार 370 वाहनों की मांग की थी. ये वाहन प्रदेशभर से अधिग्रहित किए जाने थे. लेकिन प्रदेश के परिवहन विभाग ने एक कदम आगे जाते हुए 43 हजार 283 वाहनों का अधिग्रहण कर लिया जो मांग से 9 फीसदी ज्यादा थे. राजधानी जयपुर से 2 हजार कारें, 550 बड़ी बसें और 1020 छोटी बसें मांगी गई थी.

जरुरत से ज्यादा वाहन अधिग्रहित कर डाले
चुनावों के समय प्रदेश में शादियों का सीजन भी चल रहा है. लिहाजा शादियों के लिए बसों की पहले से बुकिंग थी. इसके चलते बूंदी और करौली जिले को 50-50 बसें जयपुर से उपलब्ध करवाई गई. प्रदेश का परिवहन विभाग निर्वाचन विभाग की मांग को पूरा करने में इतना डूब गया था कि उसे आंकड़ों का पता ही नहीं चला की मांगे गए वाहनों की संख्या से ज्यादा अधिग्रहित कर लिए गए हैं.

शादियों में रही वाहनों की मारामारी
परिवहन विभाग ने अपनी भूमिका जरूरत से ज्यादा निभाई. उसकी इस शिद्दत की वजह से सभी जगहों से वाहन चालकों की शिकायतें सामने आई कि उन्हें बाड़ेबंदी में रखा गया. वहां ना तो उनके खाने पीने की व्यवस्था थी और ना ही सोने की. दूसरी तरफ शादियों में वाहनों की जरुरत वाले लोग मारे-मारे फिरते रहे लेकिन परिवहन विभाग को उन पर रहम नहीं आया.

Tags: Jaipur news, Rajasthan elections, Rajasthan news, Transport department


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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