कम उम्र में चली गईं आंखें, सड़कों पर बेची मोमबत्तियां, आज 350 करोड़ की कंपनी के मालिक, 9000 लोगों को दी नौकरी

Success Story: हौसला और हिम्मत क्या होती है यह कोई भावेश भाटिया से पूछे. कम उम्र में आंखों की रोशनी चली गई लेकिन, खुद के पैरों पर खड़ा होने की जिद्द नहीं छोड़ी और आज वे उस मुकाम पर है, जहां से करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. सफलता हमेशा संघर्ष मांगती है और भावेश की सफलता भी कड़े संघर्ष की उपज है. भावेश भाटिया की कहानी खासकर उन लोगों के लिए मायने रखती हैं, जो कामयाबी के लिए पैसा और संसाधनों की कमी की दुहाई देते हैं.
कैंडल व्यवसायी भावेश भाटिया महज 23 साल की उम्र में अंधे हो गए थे, लेकिन आज अपनी मेहनत की बदौलत 350 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं. इतना ही नहीं यह शख्स आज 9 हजार दृष्टिबाधित लोगों को रोजगार दे रहा है. आईये जानते हैं भावेश भाटिया की सक्सेस स्टोरी.
कम उम्र में आंखें और मां दोनों ने साथ छोड़ा
भावेश चंदूभाई भाटिया जिन्हें 23 साल की उम्र में रेटिना मस्कुलर डिग्रेडेशन नामक बीमारी हो गई, इस वजह से उनकी आंखों की रोशनी चली गई. हालांकि, आंखें गंवाने के बाद भी भावेश ने एमए की पढ़ाई पूरी की. लेकिन, असली चुनौती उसके बाद शुरू हुई, क्योंकि दृष्टिबाधित होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिली. ऐसे हालात में भावेश को उनकी मां ने सबसे ज्यादा साहस दिया. लेकिन, आंखों के साथ-साथ मां ने भी उनका साथ छोड़ दिया. कैंसर के चलते भावेश की मां का निधन हो गया.
Image- Facebook
किराए की गाड़ी लेकर बेची मोमबत्तियां
माँ को खोने के बाद भावेश निराश हो गए. लेकिन, मां की प्रेरणा से उन्होंने मोमबत्तियाँ निर्माण सीखने के लिए नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड स्कूल में दाखिला लिया. कैंडल बनाने की कला में निपुण होने के बाद भावेश भाटिया के दोस्त से 50 रुपये में एक गाड़ी किराए पर ली और मोमबत्तियाँ बेचना शुरू कर दिया. इसी दौरान भावेश की मुलाकात नीता से हुई और बाद में उन्होंने शादी कर ली. पत्नी नीता के आने के बाद से भावेश की जिंदगी बहुत बदल गई और उन्हें ऐसा लगा जैसे अपनी खोई हुई आंखों की रोशनी मिल गई. भावेश मोमबत्तियाँ बनाते थें और नीता उनकी मार्केटिंग करती थीं.
9000 दृष्टिबाधित लोगों को दिया रोजगार
1994 में भावेश भाटिया ने सनराइज कैंडल कंपनी की स्थापना की. इस कंपनी का सालाना राजस्व 350 करोड़ रुपये है. यह कंपनी विभिन्न प्रकार की मोमबत्तियाँ बेचती है, जिनमें सादा, सुगंधित, जेल, फ्लोटिंग और डिज़ाइनर मोमबत्तियाँ शामिल हैं. दुनियाभर में इनकी कैंडल्स के ग्राहक हैं.
खास बात है कि खुद आंखों से अंधे 52 वर्षीय भावेश ने हजारों दृष्टिबाधित लोगों को रोजगार दिया. उनकी कंपनी में 9000 से अधिक दृष्टिबाधित लोग काम करते हैं. भावेश की पत्नी नीता उनके व्यावसायिक प्रशिक्षण की देखरेख करती हैं. बिजनेस दिग्गज आनंद महिंद्रा ने हाल ही में भावेश भाटिया की प्रशंसा की और उनकी सफलता की कहानी ट्विटर पर साझा की थी.
.
Tags: Business news in hindi, High net worth individuals, Success Story
FIRST PUBLISHED : August 13, 2023, 10:14 IST
Source link