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‘आप लोगों ने मुझे बेवकूफ बनाया है’, जानिए किनसे खफा हुए सीएम हेमंत सोरेन और किन्हें सुनाई खरी-खोटी?

रांची. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अबुआ बीर दिशोम अभियान के शुभारंभ के मौके राज्य के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाई. ये पहला मौका था जब मुख्यमंत्री राज्य के अधिकारियों के प्रति इतना कड़क नजर आए. झारखंड मंत्रलाय के सभागार में राज्य भर के DC और DFO चुपचाप CM हेमंत सोरेन की डांट सुन रहे थे. CM हेमंत सोरेन ने यहां तक कह डाला की राज्य के कुछ DC ने वन पट्टा बांटने के नाम पर उन्हें बेवकूफ बनाने का काम किया. उनके हाथों एक से दो डिसमिल जमीन का टुकड़ा बंटवाया गया. क्या इसी इसी को वन पट्टा का वितरण कहते हैं?

CM हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही राज्य के DC से दिशोम का मतलब पूछा. पहले कुछ समय तक सभागार में शांति बनी रही, फिर कुछ ने कहा देश. CM हेमंत सोरेन ने कहा कि वन अधिकार कानून को बने इतने साल बाद हम इसे कड़ाई से लागू करने की बात कर रहे हैं. देश के कई ऐसे राज्य है जहां आदिवासियों की संख्या कम है, पर वहां ज्यादा वन पट्टा का वितरण किया गया है. आज तक इस कूड़े के ढेर में रखा था, आज वनाधिकार को मुहिम दे कर उतारना पड़ रहा है. जिन राज्यों में वन पट्टा बंटा है, वहां भी IAS और IFS हैं, पर काम करने में अंतर क्यों होता है?

सीएम सोरेन ने कहा, मैं खरी-खोटी सुना सकता हूं, लेकिन आशा और विश्वास के साथ काम करना चाहता हूं. DC कोई छोटा अधिकारी नहीं होता. DC अपने जिला का मुख्यमंत्री होते हैं. आज लोग घर में गेंदा फूल का पौधा लगाते हैं, लेकिन आम, जामुन और नीम के पेड़ क्यों नहीं लगाते हैं. उन्होंने राज्य के अधिकारियों से कहा कि बड़ा पेड़ लगाने का काम अपने कैंपस से करें. अगर ऐसा नहीं कर सकते हैं तो अधिकारी को बंगला के बजाय फ्लैट में रहना चाहिए. राज्य के अधिकारियों के पास काम को लटकाने के भरपूर उपाय है, लेकिन कैसे काम हो इसको लेकर सोच बनानी होगी.

हेमंत सोरेन ने कहा कि कई DC ने तरीके से मुझे बेवकूफ बनाया है. मैं उनका नाम यहां नहीं लेना चाहता हूं. कई जिलों में वन पट्टा 1 से 2 डिसमिल बंटवाया गया. मैं सहनशीलता के साथ आगे बढ़ता हूं. आदिवासी बहुत सहनशील होते हैं. CM ने जंगल में पेड़ कटाई को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें लकड़ी चोर नहीं, लकड़ी डकैत कह सकते हैं. वन विभाग के लोग पेड़ नहीं बचाते, जंगल की मापी में वन विभाग का समय बीतता है. जिला भ्रमण पर जब जाते हैं तो लोगों के द्वारा इतना आवेदन मिलता है, जिसको विभाग में भेज दें तो पता नहीं कितने लोग नप जाएंगे.

Tags: Hemant soren government, Jharkhand news


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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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