एक घटना में सबकुछ खोया, सड़क पर सोना पड़ा, गुब्बारे तक बेचे, फिर भी मेहनत से खड़ी कर दी 45,000 करोड़ की कंपनी

हाइलाइट्स
1961 में मैम्मेन मप्पिलाई ने टायर बनाने के लिए एक फैक्ट्री शुरू की.
मैम्मेन मप्पिलाई की एक छोटी-सी कंपनी थी जहाँ वह गुब्बारे बनाते थे.
एमआरएफ के एक शेयर की कीमत 1,07,384 रुपये है.
Success Story: हर सफल आदमी ने अतीत में मुश्किल जीवन गुजारा है. देश-विदेश के कई जाने-माने उद्योगपति, फिल्म स्टार से लेकर कई बड़ी शख्सियतों के साथ ऐसी कहानियां सुनने को मिलती है. हम आपको एक ऐसे ही शख्स की सक्सेस स्टोरी बताने जा रहे हैं जिसने सड़कों पर कभी गुब्बारे बेचे थे लेकिन आज 46,000 करोड़ के मालिक हैं.
यह कहानी टायर बनाने वाली कंपनी MRF के फाउंडर के एम मैम्मेन मप्पिलाई की है. कभी मैम्मेन मप्पिलाई की एक छोटी-सी कंपनी थी जहाँ वह गुब्बारे बनाते थे और फिर उन्हें खुद सड़क पर जाकर बेचते थे. उस समय उन्होंने भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन ऐसा आएगा जब वे देश की दिग्गज टायर निर्माता कंपनी एमआरएफ (मद्रास रबर फैक्ट्री) के मालिक बन जायेंगे.
परिवार पर टूटा मुसीबत का पहाड़ तो सड़क पर सोए
किसी जमाने में मैम्मेन मप्पिलाई के पिता एक बैंक के साथ-साथ एक अखबार के भी मालिक थे, लेकिन उनकी सारी संपत्ति तत्कालीन त्रावणकोर रियासत ने जब्त कर ली थी. उन्हें गिरफ्तार करके 2 साल तक जेल में रखा गया. उस वक्त मैम्मेन मप्पिलाई मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ रहे थे. अपने पिता के बाद मानो मैम्मेन मप्पिलाई के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया. ऐसे मुश्किल वक्त में हालात ऐसे हो गए कि उन्हें सेंट थॉमस हॉल के फर्श पर सोना पड़ा. मम्मन ने जैसे-तैसे संघर्ष के साथ अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने गुब्बारे बनाना और बेचना शुरू कर दिया.
बिजनेस में लगा दी पूरी कमाई
1952 में मैम्मेन मप्पिलाई को पता चला कि एक विदेशी कंपनी भारत में एक रीट्रेडिंग प्लांट को ट्रेड रबर की आपूर्ति कर रही है. रीट्रेडिंग का मतलब पुराने टायरों को पुन: नया जैसा बनाना है. मैम्मेन मप्पिलाई ने सोचा कि वह भी यह काम कर सकते हैं.
इसके बाद मैम्मेन मप्पिलाई ने गुब्बारे बेचकर जो भी पैसा कमाया था, उसे इस व्यवसाय में लगा दिया. उन्होंने बिजनेस करने के लिए एक बड़ा जोखिम लिया लेकिन, उन्हें इसमें जबरदस्त सफलता मिली. दिलचस्प बात यह है कि एमआरएफ एकमात्र भारतीय कंपनी थी जो ट्रेड रबर का निर्माण कर रही थी और उस समय इस क्षेत्र की अन्य सभी कंपनियां विदेशी थीं.
कामयाबी मिलने के बाद लिया बड़ा फैसला
महज 4 साल के अंदर एमआरएफ की बाजार हिस्सेदारी 50% तक पहुंच गई और कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने इसके चलते भारत छोड़ दिया. मैममेन यहीं नहीं रुके और उन्होंने टायर निर्माण व्यवसाय में उतरने का फैसला भी किया.
1961 में मैम्मेन मप्पिलाई ने टायर बनाने के लिए एक फैक्ट्री शुरू की. हालाँकि, कंपनी तकनीकी रूप से इतनी मजबूत नहीं थी कि टायर बना सके और इसीलिए MRF ने अमेरिकी कंपनी मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ पार्टनरशिप की. इसी साल कंपनी मद्रास स्टॉक एक्सचेंज में अपना IPO भी लेकर आई. 1963 तक एमआरएफ एक जाना-माना नाम बन गया.
आज की तारीख में टायर इंडस्ट्रीज में MRF एक बड़ा नाम बन चुका है. कपंनी का मार्केट कैप 454.66 बिलियन यानी 45,466 करोड़ रुपये है. एमआरएफ के एक शेयर की कीमत 1,07,384 रुपये है. यह भारतीय शेयर बाजार का संभवत: सबसे महंगा स्टॉक है. 1990 में कंपनी के एक शेयर की कीमत 332 रुपये थी.
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Tags: Business news in hindi, High net worth individuals, Stock market
FIRST PUBLISHED : October 2, 2023, 10:54 IST
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