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Son wrote- Papa, I am leaving this world | 7वीं के स्टूडेंट ने छोड़ा घर, लेटर में बताई वजह; मां बोली- बैग में एक जोड़ी कपड़े रखे थे

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कपिल मिश्रा। शिवपुरी14 मिनट पहले

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7वीं क्लास में पढ़ने वाला अरुण धाकड़ घर छोड़कर कहीं चला गया है। - Dainik Bhaskar

7वीं क्लास में पढ़ने वाला अरुण धाकड़ घर छोड़कर कहीं चला गया है।

‘दीपक सर ने मुझे मारा। मैं घर छोड़कर जा रहा हूं। पापा, मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं, लेकिन मैं क्या करूं… मैं इस दुनिया को छोड़कर जा रहा हूं।’ ये शब्द हैं 7वीं क्लास में पढ़ने वाले एक छात्र के, जो घर छोड़कर कहीं चला गया है। घर से जाने के पहले उसने नोटबुक के एक पेज पर यह लिखा था।

लापता छात्र को पुलिस की एक टीम दो दिन से तलाश रही है, लेकिन अब तक कुछ पता नहीं चला है। वहीं, परिवारवालों का हाल-बेहाल है। वे बेटे के घर लौटने की भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। साथ ही सोशल मीडिया पर बेटे का फोटो जारी कर आमजन से उसे खोजने के लिए गुहार लगा रहे हैं।

14 साल के बच्चे के यूं घर छोड़कर जाने को लेकर दैनिक भास्कर ने माता-पिता और पुलिस से बात की। पता चला- बच्चे ने घर छोड़ने का कारण एक कागज पर लिखा है…

7वीं क्लास में पढ़ने वाले अरुण धाकड़ का लेटर…
अरुण धाकड़
दीपक सर ने मुझे मारा तो मैं अपना घर छोड़कर जा रहा हूं। पापा मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं, लेकिन मैं क्या करूं।

यही शब्द उसने इंग्लिश में भी दोहराए हैं- Sir is beat me, so I left my home, I mish my father.

मैं जा रहा हूं, इस दुनिया को छोड़कर
I mish you mom/dad
गणेश जी की पूजा करते रहना,
मुझे 20/09/23 को मारा था।
मां डिब्बे में पैसे रखे थे, वो भी ले जा रहा हूं।
Sorry mom/dad

अरुण धाकड़ ने घर छोड़ने से पहले यह लेटर लिखा था।

अरुण धाकड़ ने घर छोड़ने से पहले यह लेटर लिखा था।

कपड़े बदले और ट्यूशन जाने का कहकर घर से निकला

शिवपुरी शहर की चंद्रा काॅलोनी में दुर्ग सिंह धाकड़ अपने परिवार के साथ रहते हैं। परिवार में पत्नी केसवती है, जो कि दिव्यांग हैं। 14 साल का बेटा अरुण और 11 साल की बेटी सत्या है। दोनों ही बच्चे निजी स्कूल में पढ़ते हैं। यहां से लौटने के बाद शाम को नवाब साहब रोड पर दीपक सेन सर के यहां ट्यूशन पढ़ने जाते हैं।

दुर्ग सिंह धाकड़ ने भास्कर को बताया- बेटा-बेटी दोनों ही एक जगह ट्यूशन पढ़ने जाते हैं। गुरुवार को बेटे अरुण ने दोपहर 2.30 बजे के करीब खाना खाया था। इसके बाद गणेश पंडाल पर जाकर बैठ गया। शाम 4.30 बजे बेटी, जो कि कक्षा 5वीं में पढ़ती है उसने भाई को ट्यूशन चलने के लिए कहा। उसने बहन को यह कहते हुए साथ चलने से मना कर दिया कि तुम आगे चलो। मैं कपड़े बदलकर आ रहा हूं। बेटे ने घर पर कपड़े बदले और करीब पौने 5 बजे मां से ट्यूशन जाने का कहकर घर से चला गया।

शाम करीब साढ़े 6 बजे ट्यूशन वाले सर का मेरे पास कॉल आया कि आपका बेटा आज पढ़ने नहीं आया है। यह सुनते ही मेरे होश उड़ गए। मैं तत्काल घर पहुंचा और पत्नी से बेटे के बारे में पूछा। उसने बताया कि वह तो ट्यूशन का कहकर घर से निकला था। बेटा न तो ट्यूशन गया, न ही घर लौटा। वह कहां होगा, यह सोचकर दिल बैठ गया। इसके बाद मैं तत्काल घर पहुंचा। कमरे में बेटे के किताब के ऊपर एक नोटबुक रखी थी, जिसमें उसने घर छोड़कर जाने का जिक्र किया था। इसके बाद हमने उसे मोहल्ले समेत आसपास तलाशा। ट्यूशन तक खोजते हुए गए, लेकिन कुछ पता नहीं चला। इसके बाद सिटी कोतवाली पहुंचा। पुलिस वाले घर आए और उसे यहां-वहां तलाशा।

उसे तलाशते हुए घर के पीछे वाली गली में पहुंचे, जहां एक घर में सीसीटीवी कैमरा नजर आया। फुटेज खंगालने पर 4 बजकर 54 मिनट पर वह गली से गुजरते हुए दिखाई दिया। सीसीटीवी में साफ दिख रहा था कि वह डर-डर आगे बढ़ रहा था। वह बार-बार पीछे मुड़कर देख रहा था। यहां से पुलिस आगे बड़ी और काफी दूर तक उसे तलाशा। जहां कैमरे नजर आए, फुटेज खंगाले, लेकिन वह किसी भी कैमरे में कैद नहीं हुआ। लोगों से भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। बस एक व्यक्ति से इतना ही पता चला पाया कि उसके जैसे एक बच्चे को उसने नवाब साहब और बायपास लिंक रोड पर एक बस को हाथ देते हुए देखा गया था। हालांकि वह अरुण था या कोई और ,यह वह सही-सही नहीं बता पाया।

बच्चों को पढ़ाने के लिए पिता ने गांव छोड़ा, फलों का ठेला लगाया
पिता दुर्ग सिंह ने बताया- हम पोहरी तहसील के नारौरा गांव के रहने वाले हैं। हम तीन भाई हैं। हमारे पास ठीकठाक खेती है, जिससे आराम से परिवार का गुजारा हो जाया करता था। शादी के बाद बेटे का जन्म हुआ। बेटे को अच्छी शिक्षा मिले, यह सोचकर गांव छोड़ने का तय कर लिया। गांव से परिवार को लेकर शिवपुरी आ गया और यहां किराए के कमरे में रहने लगा।

पहले यहां-वहां काम की तलाश में भटका। गुजारे के साथ ही बच्चों की पढ़ाई के लिए भी रुपए की जरूरत थी, इसलिए एमएम तिराहे पर फलों का ठेला लगाने लगा। कुछ समय बाद बेटी भी घर आ गई। बेटे के साथ ही बेटी का भी एक ही स्कूल में दाखिला करवा दिया। बेटा 7वीं और बेटी 5वीं क्लास में है।

पिता दुर्ग सिंह धाकड़, मां और बहन अरुण के घर लौट आने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

पिता दुर्ग सिंह धाकड़, मां और बहन अरुण के घर लौट आने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

बेटे को अफसर बनाना चाहता हूं, रिजल्ट खराब आने पर ट्यूशन लगाया
दुर्ग सिंह ने कहा- मैं, बेटे को बड़ा अफसर बनाना चाहता हूं इसलिए मैंने दोनों बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूल में कराया। पिछले साल बेटे का रिजल्ट बहुत खराब आया था। 6वीं क्लास में उसे महज 48 परसेंट नंबर मिले थे। रिजल्ट देखने के बाद मैं बहुत परेशान हो गया था। मुझे उसके भविष्य की चिंता होने लगी थी। इस कारण मैंने अपने परिचित और भरोसेमंद टीचर दीपक सेन सर से संपर्क किया।

मैंने उन्हें दोनों बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के लिए कहा। उसने विनती की थी कि वे बेटे पर कुछ ज्यादा ध्यान दें।

मां बोली- अरुण ने अपने हाथों से सजाया था गजानन का दरबार

बच्चे ने घर पर गणेश जी की स्थापना की है। इसके लिए उसने गणेश चतुर्थी के दो दिन पहले से तैयारी शुरू कर दी थी।

बच्चे ने घर पर गणेश जी की स्थापना की है। इसके लिए उसने गणेश चतुर्थी के दो दिन पहले से तैयारी शुरू कर दी थी।

इकलौते बेटे के लापता होने के बाद मां केसवती का हाल बेहाल है। उन्होंने बताया- गुरुवार दोपहर करीब ढाई बजे उसने कहा-मां भूख लगी है। मैंने उसे खाना दिया। खाना खाने के बाद वह गणेश भगवान के पंडाल पर जाकर बैठ गया। बेटी ट्यूशन के लिए तैयार हुई और उसने भाई से साथ चलने को कहा तो उसने कहा- वह चले, थोड़ी देर में वह भी आ रहा है। बेटी के जाने के बाद वह पंडाल से आया और कपड़े बदलकर ट्यूशन जाने लगा। उसने हंसते हुए मुझसे कहा- मां, मैं ट्यूशन जा रहा हूं। इसके बाद घर से चला गया था।

केसवती ने कहा- गजानन को घर पर विराजित करने को लेकर वह बहुत उत्साहित था। गणेश चतुर्थी के दो दिन पहले से उसने इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। वह अपने हाथों से गजानन की प्रतिमा विराजना चाहता था, इसलिए उसने अलग से घर पर ही एक दरबार बनाया था। पंडाल काे सजाने में उसका पूरा दिन बीत गया था। रोज सुबह उठकर वह गणेश जी की पूजा भी करता था। बेटे ने अपने लेटर में भी गणेश जी की पूजा करते रहने का भी जिक्र किया है।

मां ने बताया कि वह बहुत खुश नजर आ रहा था, लेकिन उसके मन इतना कुछ चल रहा था, इस बात का किसी को एहसास नहीं हुआ। बेटे ने एक डिब्बे में 500 जोड़ कर रखे थे, वह उन पैसों को भी अपने साथ ले गया है। इसके अलावा बैग में एक जोड़ी कपड़े भी रखकर ले गया है।

परिवार और रिश्तेदार सभी बच्चे को लेकर चिंतित हैं। वे सभी अपने-अपने स्तर पर उसे तलाश रहे हैं।

परिवार और रिश्तेदार सभी बच्चे को लेकर चिंतित हैं। वे सभी अपने-अपने स्तर पर उसे तलाश रहे हैं।

बहन बोली- टेस्ट में सही उत्तर नहीं देने पर पड़ी थी मार

छात्र की छोटी बहन ने बताया- ट्यूशन में सर ने 20 सितंबर को टेस्ट लिया था। भाई टेस्ट में प्रश्नों के सही उत्तर नहीं दे पाया था। इसी पर दीपक सर और अविनाश सर ने उसकी पिटाई लगाई थी। इसी कारण भाई ने अगले दिन मुझे ट्यूशन अकेले ही जाने का कह दिया और खुद ट्यूशन नहीं आया।

टीचर बोले- टेस्ट में कम नंबर आए थे, पिता के कहने पर थोड़ी कड़ाई बरतता था
छात्र ने जिन ट्यूशन टीचर दीपक सेन का लेटर में जिक्र किया है, दैनिक भास्कर की टीम ने उनसे भी बात की। दीपक ने बताया- अरुण के पिता ने मुझे उस पर विशेष ध्यान देने को कहा था। मैं उस पर पढ़ाई को लेकर अलग से मेहनत किया करता था। 20 सितंबर को एक टेस्ट लिया था। मैंने उसे टेस्ट के बारे में पहले से बताते हुए कहा था कि चैप्टर को अच्छी तरह से पढ़कर आए। कहने के बाद भी उसने टेस्ट में ढेर सारी गलतियां कीं। कई सवालों के जवाब नहीं दे पाया। इस पर मैंने उसे डांटा था।

21 सितंबर को इसी चैप्टर को अच्छे से पढ़कर आने को कहा था। अगले दिन वह ट्यूशन नहीं आया तो मैंने उसके पिता को कॉल कर नहीं आने का कारण जानना चाहा था। उनका कॉल नहीं आया तो मैं उनके ठेले पर पहुंचा। उन्होंने बताया कि वह ट्यूशन का बोलकर घर से निकला था। हम दोनों ने उसे रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन समेत अलग-अलग स्थानों खोजा। इसके बाद सिटी कोतवाली पहुंचे।

पुलिस की टीम बच्चे को तलाश रही है

कोतवाली प्रभारी विनय यादव का कहना है कि बच्चे की गुमशुदगी दर्ज कर ली गई है। एक टीम बच्चे की तलाश में जुटी हुई है। बच्चे को आखिरी बार उसके घर के पीछे वाली गली में देखा गया था। वह यहां एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ था, इसके आधार पर तलाश जारी है।

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