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NGT imposed huge fine on three bodies | पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए मांगे 2.70 करोड़; कांग्रेस बोली- रिछाड़िया प्लांट का उपयोग नहीं किया

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हरदा8 मिनट पहले

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NGT ने जिले की तीन नगरीय निकायों पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में 2 करोड़ 70 लाख रुपए का जुर्माना ठोका है। दो महीने में यह राशि जमा नहीं करने पर सीएमओ के खिलाफ केस दर्ज करने की चेतावनी दी गई है। नगर पालिका हरदा पर एनजीटी ने एक करोड़ 2 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। टिमरनी नगर पालिका पर 1 करोड़ 32 लाख वहीं खिरकिया नगर पालिका पर 36 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

इसको लेकर कांग्रेस के जिला प्रवक्ता आदित्य गार्गव का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्व और वर्तमान परिषद ने कभी भी इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। जिसका खामियाजा शहर की जनता जहरीले धुएं, बदबू और प्रदूषित भूमिगत जल के रूप में उठाती रही। इस समस्या को सबसे ज्यादा शहर की सफाई करने वाले स्वच्छता कर्मचारियों ने भुगता है। जिनकी मेहनत और लगन से नपा स्वच्छता के पुरस्कार देती रही। क्योंकि जहां कचरा डंप किया जा रहा है, उसके सबसे नजदीक इन्हीं कर्मचारियों के घर हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की पूर्व परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष हेमंत टाले के कार्यकाल में गांव रिछारिया में बनाए गए कचरा ट्रीटमेंट प्लांट का उपयोग भाजपा शासित नगर पालिका कर लेती तो आज एनजीटी द्वारा लगाए गए भारी जुर्माने से बच जाती। वहीं दूसरी तरफ हरदा शहर लंबे समय से चली आ रही प्रदूषण की समस्या से भी बच जाता।

उन्होंने कहा कि शहर की जनता को शुद्ध पेयजल मिले। शहर में शुद्ध वातावरण रहे इसके लिए तत्कालीन परिषद ने केंद्र सरकार की 90 प्रतिशत अनुदान योजना स्वीकृत कराई थी। जिसके तहत हरदा में पेयजल, कचरा ट्रीटमेंट प्लांट, सीवर लाइन और सड़कें बनाई जानी थी। लेकिन उस समय श्रेय की राजनीति के चलते मंत्री कमल पटेल ने उक्त योजना को प्रदेश स्तर से ही आगे नहीं जाने दिया।

उन्होंने आरोप लगाया कि हेमन्त टाले की परिषद ने नगर हित में नपा मद की राशि से कचरा ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कराया था। ताकि शहर की जनता प्रदूषण से बच सके। लेकिन आज भी वो बना बनाया प्लांट धूल खा रहा। वहीं जिम्मेदार जनप्रतिनिधि नई जगह आवंटन की बात करते हैं। लेकिन बने हुए प्लांट का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा। इसका वे कोई जवाब नहीं देते। इस मुद्दे पर कांग्रेस कई बार आंदोलन भी कर चुकी है।

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