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भोपालएक घंटा पहले
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कहीं राजस्थान की तरह शवों से न पट जाए गोशालाएं।
विवेक राजपूत
20 दिन में 31 गोवंश संक्रमित, पिछले साल सिर्फ एक मौत हुई थी
पिछले साल राजस्थान में 70 हजार से अधिक गायों की जान लेने वाला लम्पी वायरस इस बार भोपाल में दस्तक दे चुका है। राजधानी में ही अब तक लम्पी वायरस से 8 गोवंश की जान जा चुकी है। पिछले साल यहां एक ही गाय की जान लम्पी से गई थी। दरअसल, इस सीजन में लम्पी वायरस से पीड़ित पहला गोवंश 20 अगस्त को मिला था।
तीसरे दिन ही इसकी मौत हो गई थी। इसके बाद से लम्पी संक्रमण से होने वाली मौतों का सिलसिला जारी है। एक दिन में सबसे ज्यादा 4 मौतें गुरुवार को हुई हैं। इससे पहले चार सितंबर को एक और 29 अगस्त को भी एक मौत हो चुकी है।
स्थिति की गंभीरता को ऐसे भी समझ सकते हैं कि शहर में लम्पी से संक्रमित गोवंश लगातार मिल रहे हैं। जहांगीराबाद स्थित पशु आश्रय स्थल आसरा में ही अब तक 39 गोवंश आ चुके हैं। 8 की मौत के बाद यहां 31 तो अब भी हैं। इनमें से भी चार की हालत बेहद गंभीर है। वहीं, पशु मालिकों के पास भी 30 से ज्यादा गोवंश में लम्पी के लक्षण सामने आए हैं। इनका भी इलाज किया जा रहा है। आसरा के सीनियर वेटरनरी सर्जन, डॉ. विनोद कुमार साहू ने बताया कि लम्पी से 8 गाेवंश की जान जा चुकी।
पशु आश्रय स्थल आसरा में संक्रमित गोवंश को शेड सी में तो दूसरे घायल और बीमार गोवंश को मुख्य बाड़े में रखते हैं। शुक्रवार दोपहर में मुख्य बाड़े में 50 से ज्यादा गोवंश के बीच लम्पी संक्रमित एक बछड़ा मिला। जहांगीराबाद निवासी आशीष यादव की गाय को लम्पी हुआ है। यह गाय शुक्रवार दोपहर में जहांगीराबाद में घूमती मिली।
राजस्थान में 40 हजार मुआवजा, यहां प्रावधान क्यों नहीं?
राजस्थान में लम्पी से दुधारू गाय की मौत होने पर 40 हजार रुपए मुआवजे का प्रावधान है। एक पशु मालिक को अधिकतम दो दुधारू गाय के लिए मुआवजा मिलता है। वहां सरकार ने 52 हजार से अधिक पशु मालिकों को 175 करोड़ रुपए मुआवजा बांटा। वहीं, भोपाल में सैंपलिंग के बजाय लक्षण के आधार पर पॉजिटिव मान रहे हैं। ऐसे में अगर आने वाले दिनों में बीमारी ने महामारी का रूप लिया तो बिना जांच करने वाले गोवंश को लम्पी संक्रमित कैसे माना जाएगा?
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