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- If A Person Makes One Person Attend Satsang, He Gets The Same Results As Ashvamedh Yagya Ramdayal Maharaj
मुकेश कचोलिया.इंदौर37 मिनट पहले
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इंदौर के छत्रीबाग स्थित रामद्वारा में अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर स्वामी राम दयाल महाराज के आत्मनिर्भर चातुर्मास समिति की धर्मसभा में रोजाना प्रवचन हो रहे है। बड़ी संख्या में भक्त इसमें शामिल होने पहुंचते है। सोमवार को भी सैकड़ों भक्त प्रवचन में शामिल हुए।
धर्मसभा को संबोधित करते हुए स्वामी राम दयाल महाराज ने कहा – जीवन में संपत्ति आज हैं कल नहीं, प्राणों को सुख देने वाले साधना हमेशा साथ रहे जरूरी नहीं, लेकिन धर्म सदा मस्तक पर रहे, जीवंत रहे। धर्म के बल पर चित्त स्थिर हो जाता है l धर्म के बल पर जीवन धन्य हो जाता है l राजा हरिश्चंद्र को कोन नहीं जानता है, उनका धर्म प्रबल था l धर्म पर अडिग रहना साधारण बात नहीं है।दाधिज ऋषि ने धर्म के लिए अपनी हड्डियां दान में दे दी l ऋषि मुनियों ने कठिन परीक्षा धर्म के जगत में दी हैं l धर्म पर मरना अच्छा है पर धर्म भ्रष्ट होना अच्छा नहीं है l धर्म को छोड़कर धन को रखा तो सब विनाश है l धर्म को त्याग कर सारे सुख पा लेना जिंदगी में धूल ही है l धर्म का पथ इतना सरल होता तो हर कोई धर्म पर चलता l धर्म पर जो चलता है वे वीर सदियों सदियों तक इतिहास के पन्नों पर जीवित रहते है l आंख का धर्म देखना है पर आंख का तात्विक धर्म दर्शन करना है। सुनने और श्रवण करने में बहुत अंतर है, इसमें संतों की भाषा है और आत्मकल्याण की बात है l हमारा धर्म ही सब कुछ है, नहीं तो जीवन बर्बाद है l

स्वामी रामदयाल महाराज का आशीर्वाद लेते भक्त।
आज भारत जैसा कोई राष्ट्र नहीं है
महाराज श्री ने कहा – पूरे विश्व में भारत संपन्न और खुशहाल रहा है l कई बार भारत को लुटा गया। कई आक्रमण हुए पर आज भारत जैसा कोई राष्ट्र नहीं l इंदौर आज ये भक्ति प्रधान, जागृति प्रदान, उन्नति प्रदान क्षेत्र है l ये सब धर्म का प्रताप है l जो धर्म में मजबूत रहे उनका आज दुनिया में नाम है l राम धर्म सर्वोपरि है, राम धर्म श्रेष्ठ धर्म है। उन्होंने कहा व्यसन मुक्त राष्ट्र हो। व्यसन मुक्त होने का कोई समय नहीं है। शिक्षा के जगत में नशा प्रवेश कर रहा है। बच्चे स्वच्छंद जिंदगी जीना चाहते है परंतु समाज में माता-पिता ध्यान नहीं दे रहे है l प्रशासन को शिकंजा कसना पड़ रहा है की रात में इतनी बजे के बाद कोई न घूमे l पहले गुरुकुल में अपना अनुशासन था बाहर की कोई हवा नहीं लगती थी शिष्यों को। मदिरा पान करने वाले अपनी कंपनी तलाशते है तो सत्संग में अपनी कंपनी के साथ क्यों नहीं आते l एक व्यक्ति अगर एक व्यक्ति को सत्संग में उपस्थित कर देता है तो उसको अश्वमेघ यज्ञ जितना फल मिलता है l ज्ञान की दुनिया में संयम से बैठना बहुत टेढ़ा काम है। शास्त्रों में धर्म के संबंध में बहुत सारी बातें कहीं है l समय निकल जाता है केवल बातें रह जाती है l राम-राम में जीवन व्यतीत करें l जीवन में दृढ़ता रखे मजबूती रखे l दुनिया में भटकने की बजाय धार्मिक स्थान पर जाए और बच्चों को भी ले जाए, शांति मिलेगी l क्रोध छोड़कर शांति धारण करें l अहिंसा का गहना धारण करेंगे तो ही हिंसा का तांडव खत्म हो जाएगा l अच्छाई रूपी वस्त्र धारण करे बुराई रूपी नग्नता अपने आप समाप्त हो जाएगी l कठिनाइयों को सहना पड़ता है धर्म के लिए l मन पर किसी का अधिकार नहीं आत्मा से परमात्मा का सुमिरन कहीं भी कभी भी कर सकते है l
इस अवसर पर देवेंद्र मुछाल,लक्ष्मी कुमार मुछाल, गिरधर नीमा, रामनिवास मोड़, हेमंत काकानी, मुकेश कचोलिया, योगेश सोनी, रामसहाय विजयवर्गीय, आर.डी फरक्या, सुभाष धनोतिया, आशीष सोनी, रामस्वरूप पोरवाल, टीटू पोरवाल, सुरेश काकानी आदि उपस्थित थे।
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