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छतरपुर (मध्य प्रदेश)8 मिनट पहले
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महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर में 1 सितंबर 2023 को कुलपति प्रो.शुभा तिवारी की अध्यक्षता में दो दिवसीय राष्ट्रीय कविता लेखन कार्यशाला का भव्य शुभारंभ विश्वविद्यालय सभागार हुआ। उद्घाटन अवसर पर वरिष्ठ कवि एवं अनुवादक प्रो. मणि मोहन मेहता विदिशा, कलासंकायाध्यक्ष प्रो जे पी शाक्य, हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो पुष्पा दुबे मंचस्थ रहीं। मंचस्थ सभी अतिथियों द्वारा ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन अर्चन हुआ। इसके साथ ही संगीत विभाग द्वारा संगीतमय सरस्वती वंदना और कुलगाम प्रस्तुत किया गया। विश्वविद्यालय परिवार की ओर से समस्त मंचस्थ महानुभावों का माल्यार्पण एवं पुष्पगुच्छों तथा शब्द सुमनों से स्वागत किया गया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहीं कुलपति प्रो.शोभा तिवारी ने कहा हम सभी कार्य पूर्ण तनमयता के साथ करें। मेरी कविता ईश्वर प्रेम व स्वयं के भीतर झांकने वाली कविता है। कविता मानव को जोड़ने वाली एक शक्ति है। मुख्य अतिथि प्रो मणि मोहन मेहता ने कहा हमें अपने अंदर के शिक्षक को बचाए रखना चाहिए। जीवन भर हम सीखते रहते हैं। साहित्य, संगीत और कल जब समाज से कटने लगते हैं, तो समाज में बहुत से विध्वंस होने लगते हैं। साहित्य, संस्कृति और संगीत से हमें बच्चों को जोड़ना चाहिए, जिससे हम समाज को अवसाद निराशा एवं तनाव को दूर कर पाएंगे।
कला संकायाध्यक्ष प्रो. जे.पी. शाक्य ने कहा कि कोई भी कार्यशाला हमें सीखने का अवसर प्रदान करती है। अंत में सभी मंचासीन अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेंट किए गए। उद्घाटन सत्र का संचालन संयोजक प्रोफेसर बहादुर सिंह परमार ने किया।
प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो.गायत्री बाजपेई ने की। इस अवसर पर उन्होंने कहा मनुष्य के गुणों में गुणवत्ता का निर्वाह होना चाहिए। कविता का प्रमुख प्रयोजन आनंद है। सहृदय होने के लिए हृदय का मुक्त होना आवश्यक है। शब्द विधान कविता का मुख्य अंग होता है। कविता हृदय के भाव को जाग्रत करती है। कविता पाठकों से संवाद करती है। भाव पक्ष में विचार, बुद्धि अनुभूति एवं कल्पना का समावेश होता है। कविता मनुष्य के हृदय को विभिन्न अंगों को प्रफुल्लित करती है।




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