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रायसेन27 मिनट पहले
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मध्य प्रदेश में ही पुरातत्व के अधीन जैसे अन्य मंदिर खुलते हैं वैसे सोमेश्वर धाम भी खुल सकता है, कोई भय नहीं है कोई दिक्कत नहीं है, यह बात पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने रायसेन में कहीं किले की पहाड़ी पर स्थित सोमेश्वर धाम के ताले खुलवाने का संकल्प लेने वाली पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सावन के आखिरी सोमवार को गंगाजल लेकर फिर रायसेन पहुंची।
वे किले के मुख्य गेट पर शाम सात बजे पहुंची, लेकिन उन्हें किले के इसी गेट पर गंगाजल का कलश रखकर वापस लौटना पड़ा। केंद्रीय पुरातत्व विभाग का नियम है, कि सूर्य अस्त होने के बाद स्मारकों को बंद कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में किले पहुंचने वाले गेट पर ताला लगा होने से वह रात होने के कारण नहीं खुल सका।
वे यहां पर करीब बीस मिनट तक रुकी रही और प्रशासिनक व जन प्रतिनिधियों के साथ किले पर हुए जौहर को लेकर चर्चा करती नजर आई।
गंगाजल लेकर पहुंची पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि खजुराह में भी कई स्थान है, जो पुरातत्व के अंडर में है। वहां पर भी लोगों को जाने की छूट है। मैं चाहती हूं कि यहां पर भी फैसला हो जाता। जैसे शेरशाह सूरी से पूरणमल हार गए थे, मैं भी यहां से हर बार हार कर लौट जाती हूं। क्योंकि मैं मर्यादा से बंधी हुई हूं और गंगा मैया निराश लौट जाती हूं। पहले भी गंगा मैया रख गई थी, आज सावन मास का आखिरी सोमवार है।
आज भी मैने सब जगह बात की, किसी का नाम नहीं लूंगी। आप बोलेगे तो ताला खुल जाएगा। आज तो नीचे ही ताला डाल दिया, ऊपर ही नहीं पहुंच पा रही हूं। इससे लगता है अब भी शेरशाह सूरी आज भी प्रभाव शाली बना हुआ। अब गंगा मैया से ही प्रार्थना करती हूं कि वही कोई रास्ता निकालें।
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा कि कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने सोमेश्वर धाम के ताले खुलवाने के लिए जो बात कही है, वह उसे पूरा करवाने के लिए हर संभव प्रयास करती रहेंगी।









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