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The sidewalk vendor stated the truth of big business | व्यापारी बोले इनके लिए GST, लाइसेंस और कोई नियम क्यों नहीं

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इंदौरएक घंटा पहले

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राजबाडा क्षेत्र में इन दिनों फुटपाथ विक्रेताओं के खिलाफ लगातार अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई चल रही है। इस अभियान में सबसे बड़ी परेशानी यह है कि टीम के जाते ही ये सैकड़ों फुटपाथ कारोबारी फिर बाजार में आ जाते हैं। दरअसल इन फुटपाथ विक्रेताओं का रोज का लाखों का कारोबार होता है। निगम कार्रवाई से नाराज एक फुटपाथ विक्रेता ने कहा कि मेरी एक दिन की ग्राहकी 30 हजार रु. की है। परेशान विक्रेता का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आते ही व्यापारियों ने सवाल उठाए हैं कि सैकड़ों की तादाद में डटे इन फुटपाथ विक्रेताओं के पास न ट्रेड लाइसेंस है और न ही ये जीएसटी चुकाते हैं, फिर भी बड़े पैमाने कारोबार किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा लगातार कार्रवाई के बावजूद फुटपाथ विक्रेताओं के बार-बार यहां आने से यह भी स्पष्ट हो गया है कि इनका यहां फुटपाथ पर ही लाखों का कारोबार हो रहा है। ये लोग बिना बिल के कारोबार करते हैं। इनके द्वारा 18% जीएसटी नहीं चुकाया जाता।

दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि राजबाडा के आसपास एमटी क्लॉथ मार्केट, रिटेल गारमेन्ट्स, सराफा, बर्तन बाजार, पीपली बाजार, सुभाष चौक, गोपाल मन्दिर हेरिटेज शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, खजूरी बाजार, सांठा बाजार, सीतलामाता बाजार, बजाज खाना चौक, बोहरा बाजार, निहालपुरा आदि बाजार हैं। इनमें हजारों व्यापारी हैं जिनके द्वारा जीएसटी चुकाया जाता है। इसके साथ ही ट्रेड लाइसेंस, बिल आदि की अनिवार्यता है। इन व्यापारियों में इसी बात को लेकर रोष है कि हम सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं, इसके बावजूद इन विक्रेताओं के कारण धंधा चौपट हो रहा है।

कई ब्राण्डेड कंपनियों के नाम से डुप्लीकेट आइटम्स

कई फुटपाथ विक्रेता तो ब्राण्डेड कंपनियों के नाम से कपड़े, जूते-चप्पल, सौंदर्य प्रसाधन सहित अन्य वस्तुओं का कारोबार कर रहे हैं। इनकी कीमत ओरिजनल कंपनियों की कीमतों से काफी कम होती है। इस तरह इनके द्वारा डुप्लीकेट माल खुलेआम बेचा जा रहा है।

सिर्फ ठियों के चुका रहे रोज 500 रु. से 1500 रु.

फुटपाथ विक्रेता को व्यापार के एवज में जो देना होता है वह उनके ठिये का किराया है। इनका किराया ठियों के ठिकाने और व्यापार के हिसाब से माफियाओं को दिया जाता है। आमतौर पर एक ठिये के एवज में ये विक्रेता 500 रु. 1500 रु महीना माफियाओं को देते हैं। ये सालों यहां अपना धंधा कर रहे हैं। राखी के मद्देनजर इन फुटपाथ विक्रेताओं ने लाखों की खरीदी करके रखी थी। इसके चलते वे बार-बार फिर यहीं आ रहे हैं। खास कारण सबसे ज्यादा ग्राहकी भी राजबाडा क्षेत्र में ही होती है।

बड़े व्यापारियों को हो रहा नुकसान

दूसरी ओर राखी के मद्देनजर बड़े व्यापारियों ने पहले से ही काफी तैयारियां कर ली थी। ऐसे में ग्राहक राजबाडा क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद आखिरी बाजार तक पहुंच नहीं पाते। हालांकि नगर निगम की कार्रवाई जारी है लेकिन टीम के जाते ही इनके फिर आ जाने से ग्राहकी प्रभावित हो रही है। बड़े व्यापारियों का कहना है कि जब जी-20 सम्मेलन या कोई बड़ा आयोजन हो तो संबंधित विभाग सख्ती से आयोजन खत्म होने तक इन्हें बाजार में फटकने नहीं देते। फिर अभी इसका कोई ठोस हल नहीं निकाला जा रहा है।

ठोस कार्रवाई होगी

डिप्टी कमिश्नर लता अग्रवाल ने बताया कि मुझे भी जानकारी मिली है कि निगम टीम के जाते ही ये फुटपाथ विक्रेता फिर से बाजारों में आ जाते हैं जिससे फिर परेशानी खड़ी हो रही है। मामले में ठोस कार्रवाई की जाएगी।

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