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Rebellion in BJP before assembly elections | रैगांव के पूर्व विधायक के पुत्र और पुत्रवधु ने थामा कांग्रेस का हाथ; कमलनाथ से ली सदस्यता

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सतना39 मिनट पहले

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रैगांव क्षेत्र से 5 बार विधायक रहे पूर्व मंत्री स्व. जुगल किशोर बागरी के पुत्र देवराज बागरी और उनकी पत्नी वंदना बागरी ने गुरुवार को भोपाल में पीसीसी चीफ कमलनाथ से मुलाकात कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। - Dainik Bhaskar

रैगांव क्षेत्र से 5 बार विधायक रहे पूर्व मंत्री स्व. जुगल किशोर बागरी के पुत्र देवराज बागरी और उनकी पत्नी वंदना बागरी ने गुरुवार को भोपाल में पीसीसी चीफ कमलनाथ से मुलाकात कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।

विधानसभा चुनाव की बिसात बिछने के साथ ही सतना में विरोध और बगावत का दौर भी शुरू हो गया है। चित्रकूट में टिकट वितरण को लेकर उपजे असन्तोष के बीच सतना के रैगांव क्षेत्र में बगावत हो गई है। बगावत की यह चिंगारी पूर्व विधायक की दहलीज से निकली है।

रैगांव क्षेत्र से 5 बार विधायक रहे पूर्व मंत्री स्व. जुगल किशोर बागरी के पुत्र और पुत्र वधु ने भाजपा से बगावत कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। दिवंगत विधायक बागरी के छोटे पुत्र देवराज बागरी और उनकी पत्नी वंदना बागरी ने गुरुवार को भोपाल में पीसीसी चीफ कमलनाथ से मुलाकात की और फिर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। देवराज और वंदना दोनो ही सतना जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं।

पूर्व विधायक के परिवार में बगावत होने और उनके पुत्र तथा पुत्र वधु के भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो जाने से रैगांव क्षेत्र की सियासत गर्मा गई है। रैगांव की सियासत में बागरी परिवार का प्रभाव रहा है। जुगल किशोर यहां से लगातार जीतते रहे थे। वर्ष 2013 में जुगल की बजाय उनके बड़े पुत्र पुष्पराज बागरी को पार्टी ने टिकट देकर मैदान में उतारा था जिसका खामियाजा भाजपा को सीट गंवा कर भुगतना पड़ा था। उस चुनाव में यहां बसपा की उषा चौधरी ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 2018 में जुगल किशोर ने चुनाव लड़ कर भाजपा की सीट वापस छीनी थी।

रैगांव विधानसभा में हुए उप चुनाव के समय भी दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के बड़े पुत्र पुष्पराज बागरी,छोटे पुत्र देवराज बागरी एवं छोटी बहू वंदना बागरी टिकट के प्रबल दावेदार थे। वंदना बागरी ने तो पर्चा भी दाखिल कर दिया था लेकिन बाद में उन्होंने मैदान छोड़ दिया था। उस वक्त वंदना बागरी के जाति प्रमाण पत्र का मुद्दा भी सुर्खियों में रहा था। मायके पक्ष से उनकी जाति एससी रिजर्व नहीं मानी गई थी लिहाजा जिला प्रशासन सतना ने सतना से बना उनका SC का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया था। हालांकि मामला अदालत में भी पहुंचा है।

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