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Mp News:नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह बोले- महाकाल को भी नहीं छोड़ा शिवराज सरकार ने; भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी – Leader Of Opposition Govind Singh Says Shivraj Government Did Not Even Spare Mahakal; Mired In Corruption

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Leader of Opposition Govind Singh says Shivraj government did not even spare Mahakal; mired in corruption

नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने मंगलवार को ग्वालियर में एक प्रेसवार्ता में कहा कि म.प्र. में भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो चुकी हैं, यह इस बात का प्रमाण है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने बारह ज्योर्तिलिंगों में एक महाकाल कॉरिडोर को भी नहीं छोड़ा। एक ही आंधी में महाकाल कॉरिडोर के निर्माण की पोल खुल गई। अगर तूफान आ जाता तो क्या स्थिति होती।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि महाकाल लोक के निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए। जिस महाकाल लोक का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया, उसी महाकाल लोक की मूर्तियां एक आंधी भी सहन नहीं कर सकीं। डॉ. सिंह ने कहा कि महाकाल लोक निर्माण के समय ही इस बात का विरोध किया गया था कि मूर्तियां अष्टधातु की लगाई जाएं। लेकिन सभी धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए फाइबर की मूर्तियां लगाई गईं। उसका हश्र यह हुआ कि तेज हवा के झोंकों ने मूर्तियों को गिरा दिया।

‘ज्यादातर काम गुजरात की एमपी बावरिया और डीएच पटेल की फर्मों को दिए गए’

नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि कई चरणों में प्रारंभ हुए महाकाल लोक कॉरिडोर के निर्माण में हुई अनियमितताओं की शिकायत तराना के विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त को की थी। लेकिन वहां पर भी कोई कार्रवाई न कर लोकायुक्त डीजीपी को ही हटा दिया गया। साल 2022 के दिसंबर में आहूत विधानसभा के सत्र में स्थगन के माध्यम से आरोप लगाया गया था कि 351 करोड़ के निर्माण लोक निर्माण विभाग और नगरीय प्रशासन विकास विभाग द्वारा कराए गए थे। उनमें बिना किसी जांच के ठेकेदारों को भुगतान कर दिया गया। निर्माण कार्य में एसओआर का पालन नहीं किया गया। ज्यादातर काम गुजरात की एमपी बावरिया और डीएच पटेल की फर्मों को दिए गए। साथ ही ज्वाइंट वेंचर पर भी कार्य कराए गए।

उन्होंने कहा कि 22 दिसंबर, 2022 को विधानसभा प्रश्न क्र. (1090) के जवाब में नगरीय प्रशासन विभाग ने कहा कि 161 करोड़ 83 लाख का व्यय किया गया। बाद में यह राशि और बढ़ती गई। इस पूरे मामले में खास बात यह है कि एग्रीमेंट तक गुजराती भाषा में किए गए हैं। जबकि मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार मध्यप्रदेश में सारे कार्य हिंदी में होगें। उसके बावजूद हिंदी भाषा का मध्यप्रदेश में अपमान किया जा रहा है।

पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जाए

डॉ. सिंह ने कहा कि विचारणीय प्रश्न यह है कि महाकाल कॉरिडोर के निर्माण में गुजरात की फर्मों का ही वर्चस्व कैसे रहा? गुजरात की फर्में ही प्रदेश भर में ज्यादातर कार्य कर रही हैं। इनमें जलजीवन मिशन, सीवेज लाइन लोक निर्माण विभाग, नर्मदा घाटी विकास आदि विभागों में और उनसे बोलने तक की हिम्मत कोई नहीं कर पाता, फिर जांच करने की हिमाकत कौन करता?

डॉ. सिंह ने कहा कि गुजरात के ठेकेदारों से ही जब सरकार डर रही है तो गुजरात के अन्य नेताओं के सामने बोलने की हिम्मत किसकी है? डॉ. सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराई जाए। साथ ही प्रदेश के अन्य विभागों में गुजरात की फर्मों द्वारा किए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता की जांच कराई जाए। साथ ही तब तक उनके भुगतान रोक दिए जाएं।

‘प्रदेश भाजपा सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी’

डॉ. सिंह ने कहा कि सिंहस्थ से लेकर महाकाल तक हुए भ्रष्टाचार में प्रदेश की भाजपा सरकार आकंठ डूबी हुई है। इन सब मामलों की जांच कराई जाए। ताकि जनता को पता चल सके कि धार्मिक मामलों में भी किस तरह का भ्रष्टाचार किया गया है।

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