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बेमौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की परेशानी, अब इन फसलों के खराब होने का भय, करें ये जरूरी उपाय

नई दिल्ली. देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रही बेमौसम बारिश (Unseasonal Rains) का असर अब खेती-किसानी (Farming) पर भी पड़ने लगा है. बेमौसम बारिश से कुछ किसानों को फायदा तो कुछ किसानों को नुकसान पहंचा है. मई महीने में भी बरसात और ओलावृष्टि से प्याज सहित तेलहन और दलहन फसलों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है. वहीं, साग-सब्जी उगाने वाले किसानों को कुछ हद तक इससे फायदा हो सकता है. बता दें कि देश में बादलों की चाल बदलने से सूखे इलाके में ज्यादा बारिश होने लगी है. बिहार, झारखंड और पूर्वी यूपी में बारिश घट गई है. वहीं, राजस्थान, सौराष्ट्र और कच्छ जैसे शुष्क इलाकों में अब ज्यादा बारिश हो रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि बेमौसम बरसात होने का कारण क्या है? इससे खेती-किसानी पर कितना असर पड़ेगा?

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्यों में बारिश, ओलावृष्टि से आम का बौर लगभग पूरी तरह से झड़ गया है. ओलावृष्टि और तेज बारिश से सभी तरह की साग-सब्जियों को नुकसान पहुंचा है. खासकर बारिश का असर दलहनी फसलों पर सबसे ज्यादा देखने को मिला है. बारिश के कारण मक्का, उर्द, मूंग में अंकुरण कम होने की संभावना है. इसके अलावा चना, मटर, मक्का, मूंगफली में भी जलभराव के कारण पैदावार की स्थिति गड़बड़ा सकती है. बेमौसम बारिश से प्याज के फसलों को भी नुकसान हो सकता है.

उत्तर प्रदेश, बिहार समेत अन्य राज्यों में बारिश, ओलावृष्टि से आम का बौर लगभग पूरी तरह से झड़ गया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
मौसम वैज्ञानिक डॉ. अमित कहते हैं, ‘बारिश कई प्रकार के होते हैं. जब पानी तरल रूप में न गिर कर ठोस रूप में गिरता है तो उसे हिमपात कहते हैं. जब बारिश के साथ बर्फ के टुकड़े गिरते हैं तो उसे ओला कहते हैं. भारत में मानसून की प्रक्रिया के तहत एक ही इलाके में एक से चार महीने तक लगातार या रुक-रुक कर बारिश होती है. कई बार बेमौसम बारिश होती है. कई बार समुद्र से चक्रवाती तूफान बारिश लाकर तबाही मचा देता है.’

गर्मी में क्यों होने लगी अचानक बारिश?
डॉ अमित कहते हैं, ‘आमतौर पर गर्मी के समय पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा सक्रिय नहीं होते हैं, लेकिन इस बार पश्चिमी विक्षोभ ज्यादा सक्रिय हो गए हैं. इसी के चलते बेमौसम बारिश हो रही है. इसका असर अगले तीन से चार दिनों तक उत्तर पश्चिम भारत में देखने को मिलेगा. एग्रोनॉमी के लिए ये बारिश मुसीबत लेकर आई है. वहीं, हॉर्टिकल्चर के लिए ये बारिश फायदेमंद साबित होगी. फल, फूल और सब्जियों को इस बारिश से काफी फायदा होगा. इससे उत्पादन बढ़ने की संभावना है.’

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बेमौसम बारिश से उन किसानों को नुकसान हुआ है, जिन्होंने अभी तक गेहूं का फसल नहीं काटा है. (PM Kusum Yojana)

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बेमौसम बारिश से उन किसानों को नुकसान हुआ है, जिन्होंने अभी तक गेहूं का फसल नहीं काटा है. जिन किसानों के खेतों में अभी भी गेहूं हैं, वो अब काफी बर्बाद हो चुके होंगे. बता दें कि दिल्ली और इससे सटे इलाकों में पांच साल के बाद अप्रैल में महीने में ज्यादा बारिश हुई है. अप्रैल में इस साल सामान्य से 23 प्रतिशत ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. साल 2017 के अप्रैल में इससे ज्यादा बारिश हुई थी. आपको बता दें कि पिछले साल इस दौरान लू चले थे. इस बार लू नहीं चला बल्कि तापमान सामान्य से 10 डिग्री तक कम हो गया.

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एडवोकेट अरविन्द जैन

संपादक, बुंदेलखंड समाचार अधिमान्य पत्रकार मध्यप्रदेश शासन

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